‘शिवलिंग’ और ‘ज्योतिर्लिंग’ में क्या अंतर है, प्रत्येक शिवलिंग को ज्योतिर्लिंग क्यों नहीं कहा जाता है ?

लोग कभी कभी ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग को एक ही मानते हैं लेकिन ऐसा मानना बिलकुल गलत है। शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग हैं तो दोनों शिव के प्रतीक लेकिन दोनों में अंतर है।

ज्योतिर्लिंग-

शिवपुराण की कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी में इस बता को लेकर विवाद हुआ कि दोनों में से सर्वश्रेष्ठ कौन है, ऐसे में दोनों का भ्रम समाप्त करने के लिए शिवजी एक महान ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हुए, और दोनों ही देव को इस ज्योति कि थाह ढूंढने के लिए कहा, जिसकी थाह ये दोनों देव नहीं पा सके। इसी को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। शिव के ज्योति रुप में प्रकट होने और सृष्टि के निर्माण का प्रतीक है ज्योतिर्लिंग

ज्योतिर्लिंग सदैव स्वयंभू होते हैं यानि इनकी उत्पत्ति स्वतः होती है, इन्हें मानव अपनी हाथो से नहीं बनाते हैं। ज्योतिर्लिंग कुल 12 हैं।

शिवलिंग –

वहीं केवल शिवलिंग का अर्थ है प्रतीक यानी शिव का प्रतीक या चिन्ह। शिवलिंग मानव द्वारा स्थापित होते हैं और स्वयंभू दोनों हो सकते हैं।

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