शास्त्रों अनुसार नंदी का मुँह शिवलिंग के ठीक सामने होना चाहिये, किंतु काशी विश्वनाथ में ठीक इसके विपरीत क्यों है?

नन्दी का मुँह हमेशा शिवलिंग की ओर रहता है , परन्तु काशी विश्वनाथ के नन्दी का मुँह ज्ञानव्यापी मस्जिद की ओर है जो कि असली विश्वनाथ मंदिर है !

काशी विश्वनाथ मंदिर में शिवलिंग अपने पूर्व असली स्थान पर स्थापित नहीं है…!

नियमानुसार नंदी का मुँह शिवलिंग के ठीक सामने होना चाहिये, किंतु काशी विश्वनाथ में ठीक इसका विपरीत है, क्योंकि ज्योतिर्लिंग अपने मूल स्थान पर नहीं है। जहाँ पर असली ज्योतिर्लिंग स्थापित था उसे मुस्लिम आक्रमणकारियों ने तोड़ कर वहां पर मस्जिद बना दी और शिवलिंग को कुएं में फेंक दिया गया था, कभी नंदी उसी ज्योतिर्लिंग के सम्मुख स्थापित थे।

तोड़े गए शिवलिंग को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने ज्ञानवापी कुएं में फेंक दिया था और आज काशी विश्वनाथ मंदिर की जगह विध्वंस और आक्रान्तता कि प्रतीक ज्ञानव्यापी मस्जिद खड़ी है।

औरंगज़ेब द्वारा तोड़े जाने से पहले भी कई बार आक्रांताओं द्वारा इसे तोड़ा गया था, किंतु हर बार शिवलिंग का पुनर्निर्माण करवा लिया गया था। वर्तमान मंदिर में तोड़े गए शिवलिंग को अहिल्याबाई होलकर ने पुनर्स्थापित करवाया था ।

लोग वहाँ नमाज़ पढ़ते हैं और नन्दी उसके दरवाजे की ओर निहारते हुए 350 वर्षों से अपने आराध्य की प्रतीक्षा कर रहे हैं ….. हमारे विश्वनाथ वहाँ हैं और हमे उनका इंतजार है…

अयोध्या मुक्त हुई अब काशी, मथुरा और आगरा की बारी है !

हजारों मंदिरों को मस्जिद_मकबरों के अतिक्रमण से मुक्त करने को जन जागरण कर हिंदुओं को जन संघर्ष के लिए जगाना है.

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