शादी में दुल्हन की अविवाहित बहन के द्वारा दूल्हे का नीम कैसे और क्यों झाड़ा जाता है? जानिए

हम जब अपनी बहन की शादी के लिए वेन्यू के लिए जाने लगे तो पापा की चाची जो पूरे परिवार को शादी की हर छोटी-बड़ी चीजें समझा रही थी।

उन्होंने हरयानवी में हमसे कहा – नीम लें आऊँ थारे खातर.. नीम झड़ाई भी तो करती होगी थाम (तुम लोगों के लिए नीम ले आऊँ.. तुम लोग नीम की पत्तियों से झारते ही होगे)

हम तीनों कजिंस एक दूसरे को देखने लगे। हमें इस बारे में ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था। क्योंकि हमारा इरादा तो रिबन कटवाने का भी नहीं था और ना ही ऐसा किया।

लेकिन हमें ये सुनकर इंट्रेस्ट ज़रूर आया और इच्छा हुई जानने कि आख़िर ये रस्म है क्या?

उन्होंने बताया कि शादी में जब दुल्हा गेट पर आता है तो दुल्हन की अविवाहित बहन दूल्हे पर नीम के पेड़ की टहनी से पानी छिड़कती है। उन्होंने कहा कि इस से दुल्हे के साथ आई नेगटिव ऊर्जा ख़त्म हो जाती है।

इसके बाद हमने इसे और अच्छे से जानने के लिए इंटरनेट खंगाला।वहाँ पता चला कि ये रस्म कुछ मारवाड़ी और अग्रवाल परिवारों में भी निभाई जाती है।

नीम से झाड़ने की रस्म

नीम के पेड़ के कई औषधीय गुण होते हैं.. ये तो हम सभी जानते हैं ! इसके इतने उपयोग होने के कारण ही हिंदुओं में इसे एक पवित्र पेड़ कहा जाता है। अपने जीजा जी को बुरी नज़र और नुकसान से बचाने के लिए, दुल्हन की बहन दूल्हे पर गंगा जल वाले पानी में नीम की टहनी को डुबोकर उस पर छिड़काव करती हैं ताकि पौधे के औषधीय गुण से दुल्हें की बीमारी और सभी नेगेटिव ऊर्जा से रक्षा करे। इस रस्म के बदले में दुल्हन की बहन को दूल्हे से एक छोटा सा उपहार मिलता है!??

शायद मारवाड़ी और अग्रवाल परिवारों के अलावा और भी बहुत जगहों में ये रश्म निभाई जाती हो। जैसे हमें पता चला हमारे यहाँ भी ऐसा कुछ होता है.. लेकिन हम तीनो में से किसी ने किया नहीं।

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