शंख कितने प्रकार के होते हैं एवं इन्हें घर में रखने का क्या महत्व है? जानिए

समुद्र मंथन से प्राप्त १४ वस्तुओं में से एक वस्तु है शंख।उसी समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी का भी जन्म हुआ इसलिए शंख को लक्ष्मीजी का सहोदर भाई माना जाता है। सनातनधर्म में शंख का विशेष महत्व है और इसे घर के मंदिर में रखना बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में शंख को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का बहुत प्रिय बताया गया है। इसलिए माना जाता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां भगवान विष्णु का वास होता है, और जहां भगवान विष्णु होंगे वहां महालक्ष्मी स्वयं आ जाती हैं। घर पर शंख रखने का केवल धार्मिक पहलू ही नहीं बल्कि शंख को बजाना सेहत की दृष्टि से भी बहुत लाभकारी माना जाता है। आइए जानते हैं शंख बजाने के फायदे…

शंख का महत्व–

शंख में जल भरकर पूजा स्थल पर रखना चाहिए। इस जल को जहां भी छिड़का जाता है वह स्थान पवित्र हो जाता है यानी वहां से नकारात्मक उर्जा दूर हो जाती है। साथ ही उस जल को बच्चे को पिलाने पर उसकी बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। शंख की ध्वनि से सात्विक उर्जा का संचार होता है और जादू-टोना और दूसरी नकारात्मक शक्तियों का भय नहीं रहता। नियमित शंख बजाने से फेफड़ों का व्यायाम होता है और हृदय रोग की आशंका कम हो जाती है।

  • समुद्र मंथन के दौरान 8वें रत्न के रूप में गणेश शंख की उत्पत्ति हुई थी। इस शंख की आकृति बिल्कुल गणेशजी जैसी दिखती थी इसलिए इसका नाम गणेश शंख रखा गया। यह शंख दरिद्रतानाशक और धन प्राप्ति का कारक है। गणेश शंख प्रकृति का मनुष्य के लिए अनूठा उपहार है।
  • दक्षिणावर्ती शंख का घर में होना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस शंख को घर में बजाने से पॉजिटिव एनर्जी आती है। दक्षिणावर्ती शंख को दाएं हाथ से पकड़ा जाता है। इस शंख को देवस्वरूप माना गया है और इसके पूजन से लक्ष्मी प्राप्ति के साथ-साथ संपत्ति भी बढ़ती है।
  • कौरी शंख बेहद दुर्लभ पाया जाता है। इस शंख को घर में रखने से भाग्य की वृद्धि होती है और सभी कार्य बनने लगते हैं। कौरी को कई जगह कौड़ी भी कहा जाता है और पीली कौड़ियां घर में रखने से धन वृद्धि होती है। इस शंख का प्राचीनकाल में गहनों में प्रयोग किया जाता था।
  • कामधेनु शंख को गौमुखी भी कहा जाता है। यह शंख कामधेनु गाय के मुख जैसी रूपाकृति का होने की वजह से इसे गोमुखी कामधेनु शंख कहा जाता है। कहते हैं इस शंख की पूजा करने से तर्कशक्ति प्रबल होती है। इसे कलयुग में मनोकामना पूर्ति का साधन बताया गया है।
  • वामवर्ती शंख को बांए हाथ से बजाया जाता है। बजाने के लिए एक छिद्र होता है। यह शंख नकारात्मक ऊर्जा को घर से बाहर निकालने में सक्षम होता है। इसके घर पर रहने से हमेशा सुख-शांति का वास होता है। यह शंख आसानी से मिल जाता है।
  • महाभारत काल के दौरान भगवान कृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था। बताया जाता है कि इस शंख की आवाज कई किमी तक पहुंचती थी। अब यह शंख मौजूद नहीं है। बताया जाता है कि भारत में कहीं पर यह शंख आज भी मौजूद है। कुछ लोग कहते हैं कि यह आदि बद्री में सुरक्षित रखा है। वैसे ही पौण्ड्र शंख भीम के पास और युधिष्ठिर के शंख का नाम अनंतविजय था। अर्जुन के शंख का नाम देवदत्त था। वहीं भीष्म पितामह के पास गंगनाभ नाम का शंख था।
  • हीरा शंख को पहाड़ी शंख भी कहा जाता है, तांत्रिक लोग महालक्ष्मी की पूजा के लिए इस शंख का प्रयोग करते हैं। यह बहुमुल्य माना जाता है और पहाड़ों पर पाया जाता है। यह शंख दक्षिणावर्ती शंख की तरह ही खुलता है।
  • मोती शंख को घर में स्थापित करने पर सुख-शांति का वास होता है। साथ ही यह हृदय रोगनाशक भी माना गया है। इसकी हर रोज पूजा करने पर आर्थिक उन्नति होती है। अगर इस शंख को कारखाना, दुकान या ऑफिस में रखेंगे तो कभी भी आपको व्यापार घाटा नहीं होगा।
  • इस शंख को श्रीयंत्र भी कहा जाता है क्योंकि इसका नाम महालक्ष्मी शंख है। मान्यता है कि यह महालक्ष्मी का प्रतीक है। इसकी आवाज सुरीली होती है और जिस भी घर में पूजा-अर्चना होती है, वहां देवी लक्ष्मी का स्वयं वास होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *