विमान के पीछे कभी कभी धुँए की रेखा दिखाई देती है, वह क्या होती है?

पंखों के पीछे से सफेद स्प्रे क्यों निकल रहा है?

यह विमानन में जेटिसन प्रक्रिया या बेहतर ईंधन डंपिंग या विमान से अतिरिक्त फ्यूल निकलने के रूप में जाना जाता है।

आपकी प्रतिक्रिया शायद यही होगी कि यह पर्यावरण का प्रदूषण या फ्यूल की बर्बादी है।

“पायलटों को महंगा ईंधन क्यों डंप करना चाहिए, जिसे आपने एक यात्री के रूप में भुगतान किया है?”

क्या पायलटों ने यात्रा के लिए आवश्यक ईंधन का गलत अनुमान लगाया?

यह सब कुछ विमान और उसके ईंधन के भार पर निर्भर करता है।

सभी विमानों के लिए एक अधिकतम लैंडिंग वजन और टेकऑफ वजन निर्धारित रहता है। तथा यहां पर लैंडिंग वजन अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सामान्यतः विमान का लैंडिंग वजन टेक ऑफ वजन से कम होता है ऐसा इसलिए होता है कि विमान उतरते समय रनवे पर टकराते हुए उतरता है लेकिन इसके विपरीत टेकऑफ करते समय रनवे से आराम से उड़ता है।

इसका मतलब यह हुआ की प्लेन टेक ऑफ करते समय अधिक भारी होता है तथा उतरते समय कम भारी होता है। यहीं पर यह बात महत्वपूर्ण है कि यदि विमान को गंतव्य स्थान से पहले ही उतारना है तो उस समय तक विमान का ईंधन इतना नही जला होगा कि संपूर्ण विमान का ईंधन सहित वजन, अधिकतम लैंडिंग वजन से कम हो जाये ऐसी परिस्थिति में पायलट के पास यह विकल्प होता है कि वह विमान का कुछ ईंधन हवा में निकाल दे जिससे वजन लैंडिंग वजन से कम हो जाय।

विमान का वजन लैंडिंग वेट से कम हो जाने पर विमान के लैंडिंग गियर और एयरफ्रेम संरचना में मुख्य रूप से किसी भी संरचनात्मक नुकसान का सामना नहीं करेगा।

और अधिकतम के ऊपर किसी भी लैंडिंग भार का परिणाम यह होगा कि विमान को संभवतः आंतरिक क्षति हो सकती है, और इसकी संरचना एक “अधिक वजन वाले लैंडिंग” के बाद ख़राब हो जाएगी।

परन्तु कभी कभी बहुत ही आपात स्थिति में ओवरवेट लैंडिंग भी कराई जाती है। तथा इसके लिए पायलट को एयर ट्रैफिक कण्ट्रोल को पहले से सूचित करना होता है।

यह तब अपनाया जाता है जब कोई आपात स्थिति हो पायलट विमान के दोनों ओर के पंखों से जुड़े होस पाइप को खोल देता है तथा पायलट के अनुसार निर्देशित किया गया ईंधन बाहर निकल जाता है।

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