विकलांग बच्चे क्यों पैदा होते हैं? जानिए

गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. रेणु चावला ने इस बारे में बताया कि दरअसल, प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होते हैं. इसमें हार्मोनल चेंजेज भी शामिल हैं. इसकी वजह से उन्हें समय-समय पर कुछ खास खाने का मन होता है. जैसे कि खट्टा, चटपटा आदि. प्रेग्नेंसी में ऐसा करना मां को तो संतोष देता है, बच्चों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो उनमें विकलांगता के खतरे को बढ़ा देता है.

डॉ. रेणु चावला के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान और उससे पहले इन पांच बातों का ख्याल रखना चाहिए…

1. प्रेग्नेंसी के 3 महीने पहले से प्रेग्नेंसी की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. तीन महीने पहले सभी जरूरी टेस्ट मसलन थायरॉयड, सिस्ट आदि का टेस्ट जरूरी है. इसके अलावा हर महिला को प्रेग्नेंसी के 3 महीने पहले से ही फॉल‍िक एसिड का सेवन शुरू कर देना चाहिए. ताकि बच्चे और मां में खून की कमी न हो और इसकी वजह से कोई कॉम्प‍िल‍िकेशन्स न आएं.

2. वायरल इंफेक्शन से दूर रहें. डॉ. रेणु के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान मां को ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए, जिन्हें वायरल इंफेक्शन है. यही वजह है कि डॉक्टर्स गर्भवती मां को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से मना करते हैं. पब्ल‍िक एरिया में कई तरह के इंफेक्शन का डर होता है, जिसकी वजह से बच्चे के सुनने और बोलने की क्षमता प्रभावित होती है. बच्चा गूंगा और बहरा पैदा हो सकता है.

3. प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा शोरगुल वाले माहौल में नहीं रहना चाहिए. इससे बच्चा बहरा पैरा हो सकता है. हाल ही में आई एक अध्ययन की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है ध्वनि प्रदूषण बच्चों को गर्भ में ही बहरा बना देता है. ऐसे बच्चों के बोलने की क्षमता भी प्रभावित हो जाती है, क्योंकि बच्चा जब तक कुछ सुनेगा नहीं, तो बोलना सिखेगा कैसे.

4. बाहर का खाना बिल्कुल ना खाएं. प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों के कारण कुछ चटपटा और अलग-अलग जायका टेस्ट करने का दिल करता है. ऐसे में बच्चे की सेहत के लिए जरूरी है कि आप अपनी जुबान पर थोड़ा कंट्रोल रखें और बाहर का खाना खाने से बचें. खासतौर से पिज्जा, बर्गर, रोड साइड चाट-पकौड़े आदि को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दें.

5. कोल्ड ड्रिंक्स और बाहर का जूस तो भूल ही जाएं. प्रेग्नेंसी में जूस पीना फायदेमंद होता है, लेकिन बाहर का जून पीने में कई खतरा भी है. बाहर का जूस बैक्टीरिया इंफेक्टेड हो सकता है. वहीं कोल्ड ड्रिंक्स में उच्च मात्रा में प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल होता है.

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