वर्ष 2021 में महाकुंभ का आयोजन किस स्थान किया जायेगा? जानिए

कुंभ मेला (Kumbh Mela) हर 12 साल के अंतराल में हरिद्वार में गंगा, उज्जैन में शिप्रा, नासिक में गोदावरी और इलाहाबाद में त्रिवेणी संगम में आयोजित किया जाता है। ज्योतिष अनुसार जब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब इस मेले का आयोजन किया जाता है।

कुंभ मेले की पौराणिक कथा समुद्र मंथन के समय से जुड़ी हुई है।

हरिद्वार में अगले साल आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले के शाही स्नान की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के संतों के साथ करीब दो घंटे की बैठक के बाद इन तिथियों की घोषणा की गई है। जिसके अनुसार पहला शाही स्नान 11 मार्च को यानी महाशिवरात्रि के दिन होगा, दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल, तीसरा शाही स्नान 14 अप्रैल और चौथा शाही स्नान 27 अप्रैल को होगा।

कुंभ से जुड़ी प्राचीन मान्यता
कुंभ के संबंध में समुद्र मंथन की कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक बार महर्षि दुर्वासा के शाप की वजह से स्वर्ग श्रीहीन यानी स्वर्ग से ऐश्वर्य, धन, वैभव खत्म हो गया था। तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। विष्णुजी ने उन्हें असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि समुद्र मंथन से अमृत निकलेगा, अमृत पान से सभी देवता अमर हो जाएंगे। देवताओं ने ये बात असुरों के राजा बलि को बताई तो वे भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। इस मंथन में वासुकि नाग की नेती बनाई गई और मंदराचल पर्वत की सहायता से समुद्र को मथा गया था।
समुद्र मंथन में 14 रत्न निकले थे। इन रत्नों में कालकूट विष, कामधेनु, उच्चैश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, अप्सरा रंभा, महालक्ष्मी, वारुणी देवी, चंद्रमा, पारिजात वृक्ष, पांचजन्य शंख, भगवान धनवंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर निकले थे।
जब अमृत कलश निकला तो सभी देवता और असुर उसका पान करना चाहते थे। अमृत के लिए देवताओं और दानवों में युद्ध होने लगा। इस दौरान कलश से अमृत की बूंदें चार स्थानों हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में गिरी थीं। ये युद्ध 12 वर्षों तक चला था, इसलिए इन चारों स्थानों पर हर 12-12 वर्ष में एक बार कुंभ मेला लगता है। इस मेले में सभी अखाड़ों के साधु-संत और सभी श्रद्धालु यहां की पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

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