लाल, बाल और पाल किन्हें कहा जाता है?

ये सभी महानुभाव भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े हिये वीर योद्धा है जिनकी धमनियों मे भारत माता का गर्म लहू (राजपूती खून ) बहता था. राजपूती खून का अर्थ जाती से वंश से नहि है. भारत माता का हर बच्चा जो उसके लिए बलिदान को उद्यत हो राजपूत है. सिर्फ किसी जाती मे पैदा होने से कोई कुछ विशेष नहि होता बल्कि कर्म से जाती बनती है. आप तीनो महान पुरुष भारतीय रासीरिय कांग्रेस मे 1905 से 1918तक सक्रिय थे और अंग्रेजों के बंग भंग का विरोध किये थे. फिर अंग्रेजी कपड़ों के व्यापार का भारत मे विरोध किये थे. गर्म दल का नेतृत्व करते थे

इन तीनो का नाम ये है

लाल : लला लाजपत राय लाहौर पंजाब. इनको एक आंदोलन का नेतृत्व करने पर पुलिस ने लाठियों से मारा. इस पिटाई के कुछ दिनबाद इनकी मृत्यु हो गयी. भगत सिंह जैसे क्रन्तिकारी इनके इस शहदातसे अहिंसक हो गए फिर भी उन्होंने सनातनी मूल्यों को अपनाते हिये धैर्य से काम लिया और अति जरूरी हिंसा ही कि.

बाल : बाल गंगाधर तिलक ये मराठी थे राष्ट्रभक्ति कूट कूट कर भरि थी. स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मे इसे लेकर रहूँगा यह नारा अपने दिया. आप मोहनदास गाँधी के राजनितिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के प्रतिद्विंदी थे और उग्र विचारक थे. आजादी के लिए अहिंसक रास्तों के विकल्पों पर भी विचार करए थे.

पाल : विपिन चंद्र पाल एक बंगाली रास्त्रभक्त थे. गर्म दल कि विचारधारा को मानते थे और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 1905 मैंगरेज़सरकार द्वारा बंगाल विभाजन का विरोध किया था और सरकार को निर्णय वापस लेना पढ़ा.

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