रावण की नाभि में अमृत की स्थापना किस कारण से हुई थी?

रावण की नाभि में अमृत नहीं था यह सिर्फ भ्रमित करने वाली बात है । यदि उसकी नाभि में अमृत था तो वह उस अमृत को नाभि में क्यों रखे थे उसे पी क्यों नहीं लिया ?अमृत पीकर वह अमर हो सकता था । प्रश्न वही आता है अमृत होता तभी पीता वहां अमृत नहीं था तो क्या था ? इसका रहस्य किसे पता है ?

नाभि में मणिपुर चक्र होता है यह ब्रह्मा जी का निवास स्थान माना गया है । इस स्थान का बहुत बड़ा योगदान है । ब्रह्मा जी की उत्पत्ति नाभि कमल से हुई है । गर्भ में बच्चे का निर्माण ब्रह्मा जी के द्वारा होता है । वह बच्चा ब्रह्म नाल के द्वारा नाभि से जुड़ा रहता है । जन्म के बाद उस नाल को काट दिया जाता है । यह एक प्रक्रिया हो गई जन्म की ।

दूसरी प्रक्रिया ःः इसी स्थान पर भोजन जाता है यहीं से पूरे शरीर को उसका पोषण प्राप्त होता है । यहीं पर वायु भी जाती है और पूरे शरीर को 10 प्राणों के द्वारा समान रूप से विभाजित होती है । अंगों की टूट-फूट मरम्मत की प्रक्रिया भी इसी मणिपुर चक्र के द्वारा पूरी होती है । रावण इसी चक्र के द्वारा अपने कटे हुए अंगों को पुनः प्राप्त कर लेता था । किंतु ग्रंथों में इस रहस्य को छुपा दिया गया अथवा ना जान कारी की वजह से नाभि में अमृत बता दिया गया जोकि अर्ध सत्य है । रावण बहुत बड़ा विद्वान था । वह अपने शरीर के बहुत से रहस्यों को जान गया था इसलिए उसने बहुत ही शक्तियों को जागृत कर लिया था ।

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