रावण किसका अवतार था? जानिए
धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है कि रावण किसी समय भगवान विष्णु का द्वारपाल हुआ करता था किंतु एक श्राप के कारण ही राक्षस योनि को प्राप्त हुआ
आपको यह जानकर बड़ी हैरानी होगी कि रावण के एक जन्म नहीं बल्कि तीन-तीन जन्म हुये थे यह बात उस समय की है जब जय विजय नाम के दो द्वारपाल भगवान विष्णु के यहां पहरा दे रहे थे
उसी समय महान ऋषि सनक, सनंदन, सनातन तथा सनत कुमार भगवान विष्णु के दर्शन करने के लिए पधारे किन्तु द्वारपालों को भगवान विष्णु की आज्ञा थी कि किसी को अंदर आने ना दिया जाए
इसलिए भगवान विष्णु के द्वारपाल जय और विजय ने उन महान ऋषियों को अंदर जाने से मना कर दिया जिस कारण ऋषि रुष्ट हो गए और उन्होंने जय विजय को श्राप दिया कि
वह राक्षस योनि को प्राप्त करेंगे जब भगवान विष्णु को यह बात पता चली तो जय विजय ने ऋषिगणों से क्षमा याचना की तब ऋषियों ने कहा कि हम अपना श्राप वापस तो नहीं ले सकते
लेकिन इसे कम जरूर किया जा सकता है तुम तीन राक्षस योनियों में जन्म लोगे तथा तीनों बार भगवान विष्णु तुम्हारा संघार करेंगे उसके बाद तुम अपने वास्तविक स्वरूप को पुनः प्राप्त कर पाओगे
इसलिए पहले जन्म में जय और विजय हिरण्यकशपु