रानी सुरीरत्ना कौन थी? जानिए

अयोध्या की रानी सुरीरत्ना दक्षिण कोरिया पहुंची और वहां के राजा से विवाह रचाया. राजा किम-सुरो और सुरीरत्ना ने आगे चलकर कारक वंश की स्थापनी की.

कोरियाई भाषा में सुरीरत्ना का नाम ह्यो ह्वांग-ओक था. इन्हें कोरिया के कारक वंशज से जुड़ा बताया जाता है. इस वंशज के लोग किम्हे के बाशिंदा थे. किम्हे पुसान के नजदीक था जिसे आज बुसान नाम दिया गया है. दक्षिण कोरिया में आबादी के लिहाज से राजधानी सियोल के बाद बुसान का ही नाम आता है.

सुरीरत्ना का अयोध्या से कोरिया का दौरा

कोरियाई इतिहास बताते हैं कि 16 साल की उम्र में सुरीरत्ना दक्षिण कोरिया चली गईं. अयोध्या के राजा और सुरीरत्ना ने पिता ने अपनी बेटी को कोरिया भेजा. इसके पीछे उनका एक सपना कारण बताया जाता है. सुरीरत्ना के साथ उनके भाई और तत्कालीन अयोध्या के राजकुमार भी गए.

कोरियाई रिसर्चरों के मुताबिक सुरीरत्ना 48 ईसा पूर्व कोरिया पहुची थीं. वहां के तत्कालीन राजा किम-सुरो ने कोरिया पहुंचने पर उनका स्वागत किया. दोनों ने शादी की और आगे चल कर कारक वंश की स्थापना की. राजा किम सुरो सुरीरत्ना को इतना पसंद करते थे कि उनकी याद में पहली बार दोनों जहां मिले थे, वहां मंदिर का निर्माण कराया.

सुरीरत्ना का जिक्र अति प्राचीन कोरियाई ग्रंथ सांगयुक युसा में भी मिलता है. इस ग्रंथ को सांगयुक सकी भी कहते हैं. इसका अर्थ है तीन साम्राज्यों की याद का विवरण. सुरीरत्ना या ह्वांग-ओक के बारे में कहा जाता है कि वो 189 वर्ष तक जीवित रहीं. उनकी मौत के बाद किम्हे में एक स्मारक बनाया गया. रानी की याद में स्मारक के ठीक सामने एक बड़ा शिलालेख भी लगा है. शिलालेख के बारे में कहा जाता है कि उसे सुरीरत्ना अयोध्या से दक्षिण कोरिया ले गई थी.

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