रानीखेत नाम की बीमारी क्या है यह किसके द्वारा फैलती है?
रानीखेत एक भयंकर संक्रामक बीमारी है, जो मुर्गियों , बत्तखों, टर्की, तीतर, कबूतर ,कौए आदि में फैलती है। इस रोग से ग्रसित होने पर पक्षी आहार लेना कम कर देते हैं। इन्हें हरे रंग का पानी या चूने के समान बदबूदार दस्त होने लगता है।
इस रोग को न्यूकैसल रोग (Newcastle disease) के नाम से भी जाना जाता है।यह बड़े पैमाने पर तेजी से फैलने वाला जानलेवा रोग है।इस रोग से मुर्गी पालकों को बहुत ही हानि होती है। यह रोग सर्वप्रथम उत्तराखंड के रानीखेत में देखा गया था।
कारण : रानीखेत रोग वायरस या विषाणु के संक्रमण से होता है। इसका कारक और इस रोग का मुख्य कारण Avian paramyxovirus , type-1(APMV-1) विषाणु है।
रोग का संचारण या प्रसार पक्षियों में अन्य संक्रमित पक्षियों के मल, दूषित वायु और उनके दूषित पदार्थ (दाना, पानी, उपकरण, दूषित वैक्सीन, कपड़े आदि) के स्पर्श से फैलता है।
इस रोग के लक्षण दिखाई देने के कुछ दिनों बाद पक्षियों की मौत हो जाती है। इस रोग से ३० से ४० प्रतिशत तक मुर्गियों की मृत्यु हो जाती है। उच्च स्तर पर फैलने पर १०० प्रतिशत तक मुर्गियों की मृत्यु हो जाती है।
लक्षण : —
- मुर्गियों का दिमाग प्रभावित होते ही शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है, गर्दन लुढ़कने लगती हैI
- खाँसी और छींक आना शुरु हो जाता हैI
- श्वास नली के प्रभावित होने से साँस लेने में तकलीफ होती है , मुर्गियाँ मुँह खोलकर साँस लेती हैI
- कभी-कभी शरीर के किसी हिस्से को लकवा मार जाता हैI
- प्रभावित मुर्गियाँ आकाश की ओर देखती हैं।
- पाचन तंत्र प्रभावित होने पर डायरिया की स्थिति बनती है और मुर्गियाँ पतला और हरे रंग का मल करने लगती है।
उपचार —इस घातक रोग से बचाव के लिए मुर्गी पालकों के पास सिर्फ टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है।
- रोग उभरने के बाद यदि तुरंत ‘रानीखेत एफ-वन’ नामक वैक्सीन दी जाए तो 24 से 48 घंटे में पक्षी की हालत सुधरने लगती है।
- वैक्सीन के साथ साथ मुर्गियों को विटामिन बी काम्प्लेक्स और लीवर टॉनिक भी उपलब्ध कराना चाहिए I
- रोग से प्रभावित पक्षियों को स्वस्थ पक्षियों से अलग कर देना चाहिए I
- रोग से मरे हुए पक्षियों को गड्ढे में दबा देना या जला देना चाहिये।