रत्न और मणि मे भी होते है औषधिय गुण
रत्न और पत्थरों से ज्योतिषी लाभ की बात तो सभी जानते हैं पर इनमें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को दूर करने का गुण भी होता है।
आइए जानते हैं ऐसे ही रत्नों और उनकी विशेषताओं के बारे में
1 माणिक्य अगर आपको रक्त संबंधी विकार हो तो इसकी भस्म का सेवन लाभप्रद रहेगा। इसे काफी प्रभावशाली माना जाता है।
माणिक्य के धोये हुए जल के सेवन से रक्त संबंधी दूसरे विकार भी समाप्त होते हैं ।
2 मोती अगर किसी को पथरी हो तो मोती की आभूषण को शहद साथ के साथ लेना लाभप्रद माना जाता है। मूत्र संबंधी विकार में भी मोती की भस्म को केवड़े के साथ लेने पर तुरंत राहत मिलती है।
शरीर में गर्मी अधिक हो गई है तो शुद्ध मोती धारण करने से लाभ होता है। जोड़ों के दर्द में भी मोती का भस्ममें लाभकारी औषधि है । विशेषकर पेट रोग से पीड़ित महिलाओं को उच्च कोटि का मोती धारण करने से लाभ होता है ।
3 मूंगा यह रत्न भी रक्त संबंधी विकारों में लाभदाई माना जाता है। विशेषकर रक्तचाप की शिकायत हो तो मूंगे की भस्म मे शहद के साथ लेने पर लाभ होता है। इसी प्रकार पेट के दर्द में मूंगे की भस्म मलाई के साथ लेना अच्छा माना जाता है । शारीरिक कमजोरी में भी मूंगे की भस्म अच्छी होती है। वैसे मिर्गी, ह्रदय रोग, आदि मे मूंगी की भस्म को दूध के साथ लेने पर रोग नष्ट हो जाता है।
4 पन्ना यह बुध का रत्न माना जाता है अगर इसे 21 दिन तक केवड़े के जल में रखें उसके बाद उसे घिसकर मलाई के साथ इसका सेवन किया जाए जिसके बल और बुद्धि बढ़ती है। पथरी में भी इसकी भस्म अचूक औषधि मानी जाती है।
शहद के साथ भस्म का सेवन करने से जोड़ों मे दर्द जैसी परेशानी भी दूर हो जाती है।
5 पुखराज पीलिया ज्वर आदि में पुखराज के भस्म को शहद के साथ लेने पर तुरंत लाभ होता है। पुखराज को केवड़े के जल में धोकर उस जल को पीड़ित को पिलाये। इससे उसे किडनी के रोग में लाभ होगा, अगर आप हड्डी का दर्द, बवासीर ,खांसी आदि में पुखराज की भस्म का सेवन करते हैं तो अति शीघ्र लाभ होगा।
पुखराज को कुछ समय तक मुंह में रखा जाए तो मुंह की दुर्गंध के समस्या से राहत मिलती है।
6 नीलम यह काफी कीमती रत्न माना जाता है। आंखों से संबंधित परेशानियों के लिए रामबाण माना जाता है । जैसे आंखों के रोग, धुंधला दिखाई देना, आंखों से पानी गिरना, मोतियाबिंद आदि से लाभ होता है।