रघुकुल रीति क्या थी? जानिए

रघुकुल रीती सदा चल आई

प्रण जाय पर वचन न जाई.

राजा रघु सुर्य वंश मे पैदा हुए थे.

भगवान विवस्वान सुर्य जिनसे सुर्य वंश भानु कुल शुरू हुआ. राजधानी अयोध्या बनी. सरयू नदी के किनारे अयोध्या को बसाया गया.

इनके बाद इनके वंश को रघुकुल कहा जाने लगा. वहुत प्रतापी राजा हिये थे. अपने वचन के पक्के थे. सत्यवादी थे. जो जवान से कह फिया उसे निभाया. इस लिए ही इनके शब्दों को सत्य माना जाता था. इनके बंशी मे ही राजा पृथु, भगीरथ, राजा सगर, मान्धाता आदि प्रतापी राजा हुए. भगीरथ जी ही गंगा जी को स्वर्ग से धरती पर लाये थे ऑर्बिस घटना को गंगावस्तरणम कहा गया.

राजा दशरथ इनके ही वंश मे थे. दशरथ के पिता महाराज अज थे और उनके पूर्वज रघु. दशरथ जी ने भी अपने पूर्वजों के क्रम को अपनाते हुए अपने किये हुए वचनो कि इज्जत रखी. किसी भी प्रस्तिथि मे अपने द्वारा रानी कैकेयी को दीये हुए वचनो का सम्मान किया.

इसके लिए उन्हें अत्यधिक कष्ट झेलना पढ़ा और मानसिक शारीरिक तथा सामाजिक दुख दर्द के साथ भी इन्होने अपने वचनो को निभाया और कैकेयी को दिए हुए वचनो को जिसमे श्री राम जी जो किनपहले वरिष्ठ योग्य उत्तराधिकारी थे, को चौदह वर्स का वनवास और वन मे ब्रशम्चारी कि भांति साधारण निवासि कि तरह रहना है, राजभवन के सूख से बिलकुल दूर और दशरथ का राज अपने पुत्र भरत जो छोटे राजकुमार थे को मिले.

उक्त वचन निभाते हिये राजा दशरथ अपने प्राण त्याग दिए लेकिन वचन नहि तोड़ा. बाद मे भरत ने अपनी माता कि बात नहि मानी सुर चौदह वर्ष तक राजा राम को ही मानकर दशरथ जी के वचननुसार राम ने भी छोड़ वर्ष देश से दूर वन मे रहकर वनवास सेहत और भरत ने राम कि चरन पादुका सिंहासन पर रहकर शत्रुघ्न जो सबसे छोटे भ्सीस्यी थे को प्रतिनिधि बनाकर अयोध्या कि राज व्यवड़ता सुचारु रूप से चालू राखी. सभी वचन उत्तरदायित्व के साथ सभी राजकुमारों ने मर्यादा से निबगाये सुर सनुपम राम राज्य का उदाहरण प्रस्तुत किया. यही है रघुकुल रीती. यही रघुकुल परम्परा है. यही धर्म माना गया. यही रघुवंश कि शान है आंन बान है.

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