ये विशेष डॉग करते हैं सैनिकों की सुरक्षा, भ्रम और तनाव से बचाने वाले हैं

 जम्मू-कश्मीर ऐसा राज्य है, जहां पर जवान 24 घंटे सतर्क रहते हैं। कश्मीर में तैनात 44 वें राष्ट्रीय राइफल के युवा हर पल हर खतरे का सामना करने के लिए बिल्कुल तैयार रहते हैं और इसमें इनका साथ देते हैं कुछ खास डॉगी। ये कुत्ते ना केवल जवानों के अच्छे दोस्त होते हैं, बल्कि उनका तनाव और खतरे को दूर करने का भी काम करते हैं। दिन भर जब सैनिक गश्त लगाने के बाद लौटते हैं तो लैब्राडोर प्रजाति के रॉश के साथ खेलकर उनका तनाव कम होता है और उन्हें एनर्जी मिलती है।

 युवा के साथ देश को सेफ रखने का करते हैं काम

 राष्ट्रीय राइफल के जाबांजों के साथ रॉश सहित छह कुत्ते देश को सुरक्षित रखने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं। जवानों के साथ रॉश, तापी और क्लायड नामक कुत्ते दक्षिण कश्मीर के संवेदनशील क्षेत्रों जैसे पुलवामा का लासीपुरा, इमाम साहब और शोपियां की निगरानी रखते हैं और खतरे को दूर करने में उनका साथ देते हैं। इन सैनिकों के साथ आईड विस्फोटकों का पता लगाने, फरार आतंकवादियों का पता लगाने और हिंसक भीड़ का पीछा करने जैसे कई काम को बखूबी अंजाम देते हैं।

 आतंकवाद रोधी अभियानों में कुत्तों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है

 कश्मीर में तैनात 44 वें राष्ट्रीय राइफल के प्रमुख कर्नल ए के सिंह बताते हैं कि आतंकवाद रोधी कई अभियानों में कुत्तों के दल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही ऐसी कई घटनाओं को नाकाम करने के लिए भी सफलता हासिल की है, जिसमें सुरक्षा बलों के जवानों के लिए जान का खतरा हो सकता है। कर्नल सिंह बताते हैं कि रॉश बल के लिए एक की सेलिब्रिटी ’की तरह है, क्योंकि उन्होंने बीते साल हिजबुल मुजाहिदीन के एक वांछित आतंकवादी को पकड़ने में बल की सहायता की थी।

 रौश को दिया गया प्रशस्ति पत्र

 इस साल सेना दिवस के मौके पर रॉश को सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख द्वारा प्रशस्ति पत्र दिया गया था। राष्ट्रीय राइफल के जवानों केvoan सहयोगी, जब सैनिक सोते हैं तो उस समय उनकी पहरेदारी करते हैं। ये कुत्ते जवानों को बारूदी सुरंगों से भी बचाने का काम करते हैं। जहां इन कुत्तों के सैनिकों का तनाव कम करने का काम करते हैं तो सेना के अधिकारी भी इन कुत्तों का अच्छा से रख रख रहे हैं। कई आतंक रोधी अभियानों के लिए इन कुत्तों को हमुरी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

 मेनका जिसे मरणोपरांत मिला युद्ध प्रमाण

 अभी हाल ही में फे डिफेन्स इंटेलिजेंस एजेंसी के के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल के जे एस ढिल्लों की एक तस्वीर काफी सुर्खियों में थी, जिसमें वह मेनका नाम की एक कुत्तिया को सलामी दे रहे थे। बता दें कि मेनका ने अमरनाथ यात्रा के दौरान रास्ते को सूंघ कर संभावित विस्फोटकों के खतरे को निर्मूल किया था। वहीं चार साल की लैब्राडोर को मरणोपरांत इन मेंशन इन डिसैच ‘का प्रमाण पत्र भी दिया गया था। बता दें कि मेनका ऐसे पहलेवान थे, जिन्हें मरणोपरांत युद्ध के दौरान मिली थी।

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