यदि ट्रेन चल रही है तो ट्रेन चालक सो गया तो ट्रेन का क्या होगा?

भारतीय रेल दुनिया की सबसे बड़ी रेल सेवाओं में से एक है। करोड़ों लोग प्रतिदिन ट्रेन के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। इनमें से लाखों ऐसे होते हैं जो डेली अप डाउन करते हैं। वर्तमान में करीब 4000 ट्रेनें हर रोज रेल की पटरियों पर दौड़ती है और सफलतापूर्वक यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंच जाती हैं। सवाल यह है कि ट्रेन चलाने वाला ड्राइवर भी इंसान होता है। यदि बहुत चलती ट्रेन में बीमार हो जाए, बेहोश हो जाए, उसे हार्ट अटैक आ जाए तब ट्रेन का क्या होगा। आइए इस सवाल का जवाब पता करते हैं:

ट्रेन के ड्राइवर को यदि नींद आ जाए या फिर वह किसी भी कारण से बेहोश हो जाए तो उसके साथ एक असिस्टेंट ड्राइवर होता है। वह सबसे पहले ड्राइवर को जगाने की कोशिश करेगा। यदि स्थिति सामान्य नहीं हुई तो वह सक्षम है, ट्रेन को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिए।

लेकिन यदि बदकिस्मती से Driver और असिस्टेंट Driver दोनों सो जाते हैं तो उस स्थिति से निपटने के लिए इंजन में ‘विजीलेंस कन्ट्रोल डिवाइस’ लगा होता है। यह डिवाइस यह नोटिस करता है कि यदि एक मिनिट के अन्दर Driver ने न ही स्पीड बढ़ाने के लिए थ्राटल को बढ़ाया हो या स्पीड कम करने के लिए थ्राटल को कम किया हो या ब्रेक लगाया हो या हार्न बजाया हो तो 72 सेकंड के अन्दर एक विजुअल इंडीकेशन आयेगा, Driver को उसको एक बटन दबाकर एकनोलेज करना है।

इससे डिवाइस को पता चल जाएगा कि ड्राइवर अपनी ड्यूटी पर तैनात है। यदि Driver एकनोलेज नहीं करता है तो 60 सेकंड में ट्रेन में आटोमैटिक ब्रेक लगना शुरु हो जायेंगे और एक किमी के अन्दर ट्रेन रुक जायेगी। इस तरह से किसी बड़ी दुर्घटना को होने से रोका जा सकता है।

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