मोर के पंख के क्या फायदे हैं? जानिए

मोर, मयूर, पिकॉक कितने खूबसूरत नाम है इस सुंदर से पक्षी के। जितना खूबसूरत यह दिखता है उतने ही खूबसूरत फायदे इसके पंखों के भी हैं। हमारे देवी -दवताओं को भी यह अत्यंत प्रिय हैं। मां सरस्वती, श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी, इन्द्र देव, कार्तिकेय, श्री गणेश सभी को मोर पंख किसी न किसी रूप में प्रिय हैं। पौराणिक काल में महर्षियों द्वारा इसी मोरपंख की कलम बनाकर बड़े-बड़े ग्रंथ लिखे गए हैं।

धन और विद्या समानरूप से प्रदान करता है

सनातन धर्म में में मोर को धन की देवी लक्ष्मी और विद्या की देवी सरस्वती से भी संबंधित माना जाता है. इसलिए मोर पंख लगाने से धन और बुद्धि दोनों ही साध-साथ प्राप्त होती हैं. मां लक्ष्मी स्वयं सौभाग्य, खुशहाली और धन धान्य व संपन्नता की प्रतिनिधि हैं. इसलिए मोर के पंखों का प्रयोग मां लक्ष्मी की इन्हीं विशेषताओं को अर्जित करने के लक्ष्य से किया जाता है.

करीब लाता है मोर पंख

मोर पंख का यह गुण प्रेम का ही पर्याय है. ये दो लोगों में दूरियां समाप्त करने का कार्य करता है. मूल रूप से मोर पंख को अध्यात्म की दृष्टि से शुभंकर के तौर पर जाना जाता है किन्तु घरेलू स्तर पर यह परिवारजनों के बीच की दूरियां समाप्त करता है और नजदीकी बढ़ाता है.

अधिकांश लोग अपने घरों में मोर के खूबसूरत पंखों को लगाते हैं।

1 . मोर पंख की जितनी महत्ता भारत के लोगों के लिए है शायद ही किसी अन्य देश के लोगों के लिए हो। हमारे यहां माना जाता है कि मोर नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सबसे प्रभावशाली है।

  1. हालांकि 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पश्चिमी देशों के लोग मोरपंख को दुर्भाग्य का सूचक मानते थे। लेकिन मोर पंख की शुभता का अनुभव होने के बाद उसे शुभ चिन्ह के रूप में स्वीकार कर लिया गया।

3 . ग्रीक पौराणिक कथाओं के अनुसार मोर को ‘हेरा’ के साथ संबंधित किया जाता है। मान्यता के अनुसार आर्गस, जिसकी सौ आंखें थीं, उसके द्वारा हेरा ने मोर की रचना की।

  1. यही वजह है कि ग्रीक लोग मोर के पंखों को स्वर्ग और सितारों की निगाहों के साथ जोड़ते हैं।

5 हिंदू धर्म में मोर को धन की देवी लक्ष्मी और विद्या की देवी सरस्वती के साथ जोड़कर देखा जाता है।

6 . लक्ष्मी सौभाग्य, खुशहाली और धन धान्य व संपन्नता के लिए पूजी जाती हैं। मोर के पंखों का प्रयोग लक्ष्मी की इन्हीं विशेषताओं को हासिल करने के लिए किया जाता है। मोर पंख को बांसुरी के साथ घर में रखने से रिश्तों में प्रेम रस घुल जाता है।

  1. एशिया के बहुत से देशों में मोर के पंखों को अध्यात्म के साथ संबंधित किया जाता है। क्वान-यिन जो कि अध्यात्म का प्रतीक है का मोर से खास रिश्ता माना गया है। क्वान यिन : क्वान-यिन प्रेम, प्रतिष्ठा, धीरज और स्नेह का सूचक है। इसलिए संबंधित देशों के लोगों के अनुसार मोर पंख से नजदीकी अर्थात क्वान-यिन से समीपता मानी गई है।

8 . बौद्ध धर्म के अनुसार मोर अपनी अपने सारे पंखों को खोल देता है, इसलिए उसके पंख विचारों और मान्यताओं में खुलेपन का ही प्रतीक माने जाते हैं।

  1. ईसाई धर्म में मोर के पंख, अमरता, पुनर्जीवन और अध्यात्मिक शिक्षा से संबंध रखते हैं।
  2. इस्लाम धर्म में मोर के खूबसूरत पंख जन्नत के दरवाजे के बाहर अद्भुत शाही बगीचे का प्रतीक माने जाते हैं।

यह भी विशेष गौर करने लायक तथ्य है कि घरों में मोरपंख रखने से कीड़े-मकोड़े घर में दाखिल नहीं होते।

मयूर पंख से होते हैं हर ग्रह के दोष दूर

हिन्दू धर्म में मोर के पंखों का विशेष महत्व है। मोर के पंखों में सभी देवी-देवताओं और सभी नौ ग्रहों का वास होता है। ऐसा क्यों होता है, हमारे धर्म ग्रंथों में इससे संबंधित कथा है …

भगवान शिव ने मां पार्वती को पक्षी शास्त्र में वर्णित मोर के महत्व के बारे में बताया है। प्राचीन काल में संध्या नाम का एक असुर हुआ था। वह बहुत शक्तिशाली और तपस्वी असुर था। गुरु शुकाचार्य के कारण संध्या देवताओं का शत्रु बन गया था।

संध्या असुर ने कठोर तप कर शिवजी और ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया था। ब्रह्माजी और शिवजी प्रसन्न हो गए तो असुर ने कई शक्तियां वरदान के रूप में प्राप्त की। शक्तियों के कारण संध्या बहुत शक्तिशाली हो गया था। शक्तिशाली संध्या भगवान विष्णु के भक्तों का सताने लगा था। असुर ने स्वर्ग पर भी आधिपत्य कर लिया था, देवताओं को बंदी बना लिया था। जब किसी भी तरह देवता संध्या को जीत नहीं पा रहे थे, तब उन्होंने एक योजना बनाई।

योजना के अनुसार सभी देवता और सभी नौ ग्रह एक मोर के पंखों में विराजित हो गए। अब वह मोर बहुत शक्तिशाली हो गया था। मोर ने विशाल रूप धारण किया और संध्या असुर का वध कर दिया। तभी से मोर को भी पूजनीय और पवित्र माना जाने लगा।

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