मुग़ल शहजादियाँ कुंवारी क्यों रह जाती रहीं ? जानिए कारण

मुगलों ने दिल्ली पर कई वर्षों तक राज किया था उनकी निशानियां आज भी देखी जा सकती हैं लेकिन उनसे जुड़े कुछ सवाल आज भी हैं जिनके जवाब पर कलम नहीं चलाई गई। इसी में से एक सवाल यह है कि मुगल अपनी बेटियों की शादी क्यों नहीं करते थे। कम ही लोग जानते हैं कि अकबर ने अपनी तीन बेटियों की शादी नहीं की थी।

उस समय मुगलों ने राजपूतों के साथ समझौतों के लिए वैवाहिक संबंध स्थापित करने की कोशिश की थी। राजपूतों ने अपनी बेटियों की शादी शाही खानदान में करने के प्रस्ताव को तो मंजूर कर लिया लेकिन मुगलों की बेटियों को ब्याह कर अपने घर में लाने से इंकार कर दिया। उनके मन में था कि उनके घरों में मुसलमान औरतें बिहा कर आएंगी तो उनका धर्म भ्रष्ट हो जाएगा। इसलिए उन्होंने शाही खानदान की बेटियों को ब्याह कर लाने से इंकार कर दिया।यह भी एक कारण था कि मुगलों को अपनी बेटियों के लिए बराबरी के रिश्ते नहीं मिल रहे थे।

दूसरा बड़ा कारण यह भी था कि भारतीय संस्कृति में दामाद का स्थान बहुत ऊंचा माना जाता है। मुगलों का सोचना था कि विवाह के नाते कहीं उनको बेटी की शादी में दामाद के आगे शीश ना झुकाना पड़े, इसलिए वह अपनी बेटियों की शादी नहीं करते थे। मुगल बादशाहों के रुतबे और उनके बराबरी के रिश्ते हिंदुस्तान में मौजूद नहीं थे और अपनी बराबरी के रिश्ते ढूंढने के लिए उन्हें ईरान जैसे देश को देखना पड़ता था जो हिंदुस्तान से काफी दूर थे।

तीसरा अहम कारण यही था शादी होने पर शहजादियों के शौहर या उनकी संताने शाही गद्दी के लिए खतरा साबित हो सकती थी। जैसा कि हमें देखने को भी मिलता है कि किस तरह से अकबर की बहन के शौहर शरीफ उद्दीन ने मुगल गद्दी हासिल करने के लिए अकबर पर जानलेवा हमला किया था। शाही गद्दी पर मुगल शहजादियों के शौहर या उनकी संताने अधिकार प्राप्त ना कर लेने के डर से अधिकांश मुगल शहजादियां जैसे हिमायू की बहन गुलबदन, अकबर की बेटियां शकरूनिशा, आरामबानो, शाहजहां की बेटियां जहाँ आरा और रोशन आरा,औरंगजेब की पुत्री मेहरु निशा के साथ साथ बादशाह के खास रिश्तेदारों की बेटियां को कुंवारा रहना पड़ा।

बताया जाता है कि अकबर के समय से यह चलन शुरू हुआ था बाद में इसका पालन जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब ने भी किया और यही कारण है की मुगलों की बेटियां आजीवन अविवाहित रही थी।

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