माया जनजाति किस देश में पाई जाती है? जानिए

“माया” जनजाति के लोग ज़्यादातर गुआतेमाला और दक्षिण-पूर्वी मेक्सिको में रहते हैं। कम संख्याओं में बेलिज़, होंडुरास और एल सालवादोर में भी रहते हैं। १९९२ का नोबेल शांति पुरस्कार जितने वाली रिगोबेर्ता मेंचू (Rigoberta Menchú) गुआतेमाला की किचे (K’ich’e) जनजाति से हैं, जो बृहत्तर माया जनजाति का हिस्सा है – जैसे पंजाबी, बंगाली, आदि भारतीय (जन-)जाति के हिस्से हैं।

सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के बाद वाली भारतीय सभ्यता और माया सभ्यता के इतिहासों में कई समानताएं हैं। आज से लगभग २५०० साल पहले दोनों जगह पहले शहरों की शुरुआत हुई। लगभग २३०० साल पहले दोनों जगह लिपि का प्रयोग शुरू हुआ। गणित, ज्योतिष और साहित्य की चर्चा दोनों सभ्यता में अहमियत रखती थी।

उत्तरी भारत में जैसे उसके बाद के दो हज़ार सालों में हमारी भाषाओं ने संस्कृत-प्राकृत से निकलकर आज की आधुनिक भाषाओं का रूप लिया है, वैसे ही मायाओं में भी हुआ है। प्राचीन माया से भी तक़रीबन ३० अलग अलग आधुनिक माया भाषाओं का जन्म हुआ है।

रिगोबेर्ता मेंचू की किचे भी उनमें से एक है। युरोपीयों के हाथों इस प्राचीन सभ्यता के धारकों का बहुत अत्याचार हुआ है। शायद भारत से कई गुना ज़्यादा। उनकी पुरानी किताबें जलाई दी गई थीं। उनके पुराने धर्म को समाप्त कर दिया गया। इतना कि आज सिर्फ़ दो-तीन समयगणना (कैलेंडार) से संबंधित किताबें और किचे भाषा में लिखित पुराणकथा “पोपोल वुख़” (Popol Vuh) ही बची हैं।

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