मायासुर ने कैसे अर्जुन से अपने परिवार की मौत का का बदला लिया? जानिए

मायासुर अर्जुन से बदला क्यूं लेगा क्योंकि अगर अर्जुन उस समय ना होता तो अग्निदेव और कृष्ण उसे कब का मार डालते। मय दानव शिल्पियों में श्रेष्ठ था जब उसने खाण्डव दहन देखा तो अपने को बचाने के लिए वह अपने स्थान से बाहर निकला उसे देखते ही श्रीकृष्ण ने उसे पहचान लिया था तथा नमूचि के भ्राता का सर धड से अलग करने के लिए चक्र उठा लिया था.

दूसरी और अग्नि देव भी उसे जलाने के लिए उद्धत हों गये जब मय दानव ने दोनों तरफ से मौत को आते हुए देखा तो डर के मारे उसने अर्जुन की शरण ली जिसके कारण अर्जुन को उसपर दया आ गई तथा उसने उसे अभयदान दे दिया अर्जुन के अभयदान देने की वजह से ही उसे कृष्ण और अग्निदेव ने नहीं मारा था।

जब खाण्डव दहन हो गया तथा वे तीनों एक स्थान पर विश्राम कर रहे थे तब मय दानव ने अत्यंत मधुर स्वर में अर्जुन से कुछ सेवा करने के लिए कहा लेकिन अर्जुन ने अपने बदले श्री कृष्ण के लिए कोई कार्य करने के लिए कहा तब श्री कृष्ण ने कुछ समय विचार करके उसे युद्धिष्ठिर जी के लिए एक भव्य सभाभवन बनाने के लिए कहा तथा शिल्पियों के विश्वकर्मा मय ने भी उस प्रस्ताव को बड़े आदर के साथ स्विकार किया। उसने श्रीकृष्ण और पाण्डवों की इच्छा अनुसार ही सभाभवन का निर्माण किया तथा उस कार्य में उसे चौदह माह का समय लगा इसके अलावा उसने अर्जुन को देवदत शंख, भीमसेन को उनके अनुरूप गदा तथा अन्य भेंट भी प्रदान की।

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