माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कितनी तपस्या की थी? जानिए

मां पार्वती ने राजा दक्ष को चिंतित देखकर वह घर से निकल कर हिमालय पर्वत पर जाकर शिव से विवाह करने के लिए घोर तपस्या में लीन हो गई। कहा कि पार्वती की 14 हजार वर्ष कठिन तपस्या से भगवान भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर पार्वती से वरदान मांगने काे कहा।

माता पार्वती और भगवान शिव जी के विवाह के बारे में ऐसा बताया जाता है कि हिमालय के मंदाकिनी इलाके में त्रियुगीनारायण गांव में ही देवी पार्वती और भगवान भोलेनाथ का विवाह पूरा हुआ था, इस जगह पर एक पवित्र अग्नि भी प्रज्वलित होती रहती है, जिसके विषय में ऐसा बताया जाता है कि यह अग्नि त्रेता युग से ही लगातार जलती चली आ रही है,

इसी अग्नि के समक्ष भगवान भोलेनाथ और देवी पार्वती जी ने सात फेरे लिए थे, विवाह में भाई की रस्म भी होती है जिसको भगवान विष्णु जी ने पूरा किया था और पंडित की रसम को भगवान ब्रह्मा जी ने पूरा किया था, माता पार्वती जी और भगवान शिव जी की शादी में बहुत से महान ऋषि, तपस्वी भी मौजूद हुए थे, जिनके समक्ष माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ का विवाह हुआ था।

अगर हम धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों में वर्णन कथा के अनुसार देखें तो माता पार्वती जी ने शिवजी को पाने के लिए काफी कठिन तपस्या की थी, इनकी कठोर तपस्या को देख कर बड़े-बड़े ऋषि मुनि भी आश्चर्यचकित हो गए थे, आखिर में माता पार्वती जी की सभी इच्छाएं पूरी हुई और उनको शिवजी को पति के रूप में प्राप्त होने का वरदान मिला।

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