माता पार्वती की बेटी की क्या कहानी है ?

⚫कैलाश पर भोले शंकर ध्यान में डूबे रहते और दोनों बच्चे गणेश और कार्तिकेय बाहर खेलने में व्यस्त रहते , इससे देवी पार्वती बहुत अकेला महसूस करने लगी ।

⚫हर दिन उनका अकेलापन बढ़ता जा रहा था तो देवी की इच्छा हुई कि काश उनकी एक बेटी होती तो वो अपनी भावनाएं उसके साथ बांट पाती ।

⚫एक दिन देवी ने भगवान शंकर से कहा कि मैं बहुत बोर हो चुकीं हूं मुझे इस दुनिया के सबसे अच्छे गार्डन में ले चलो । तब भगवान शंकर देवी को अमरावती में देवताओं के ” नंदन “बगीचे में ले गए ।

⚫बगीचे में , सभी पेड़ों में से एक पेड़ ने उनका ध्यान आकर्षित किया वो था ” कल्पवृक्ष ” जो मन की इच्छा पूरी कर सकता था । देवी के मन में उसे देख एक बेटी की इच्छा मन में आईं । कल्पवृक्ष ने तुरन्त देवी की इच्छा पूरी कर दी और उन्हें वहीं एक छोटी बच्ची मिली ।

चित्र सौजन्य : विकिपीडिया

⚫देवी पार्वती उसे पा बहुत खुश हुई और उसका उन्होंने नाम रखा ” अशोकसुंदरी “

?अशोक सुंदरी – देवी पार्वती की बेटी ,,

? अमरावती – देवताओं के राज्य की राजधानी थी , इसे आज की अमरावती से मिक्स ना करें

? कल्प वृक्ष – समुद्र मंथन के समय निकला था ।

नोट – देवी अशोकसुंदरी की पूजा ज्यादातर दक्षिण भारत में की जाती है जहां उन्हें लावण्या और बाला त्रिपुरा सुंदरी के नाम भी जानते हैं । उन्हें कल्पना और सुंदरता की देवी मानते है ।

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