महिला क्रिकेट के बारे में किस जानकारी ने आपको आश्चर्यचकित कर दिया ?

जिस संतान को पुणे के रहने वाले माता पिता ने अनाथालय के भरोसे छोड़ दिया था उसने बाद में ऑस्ट्रेलिया को विश्व कप दिलवाए। लैला(लीसा) की कहानी किसी फेयरी टेल से कम नहीं है।

13 अगस्त 1978 को जन्मी यह लड़की उसके मां बाप को मंजूर नहीं थी तो उन्होंने श्रीवत्स नाम के एक अनाथालय में उसको उनके हवाले कर दिया। वहां उसको लैला नाम मिला।

कुछ समय बाद अमेरिका से एक कपल भारत घूमने आया। उनके पहले से एक बेटी थी अब उन्हें एक बेटे की तलाश थी तो उन्होंने बेटे को गोद लेने के लिए अनाथालय से संपर्क किया।

काफी खोज के बाद बेटा भी अनाथालय बेटा तो उपलब्ध नहीं कर पाए लेकिन उन्हें ब्राउन आंखो वाली लैला पसंद आ गई और कानूनी औपचारिकता के बाद उन्होंने लैला को गोद ले लिया।

और फ़िर लैला को नया नाम मिला लीसा।

कुछ समय बाद यह कपल वापिस अमेरिका से जाकर ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में बस गया।

ऑस्ट्रेलिया में लीसा(लैला) को उसके पिता ने क्रिकेट से परिचित कराया।

यही से शुरू हुई उसकी क्रिकेट की यात्रा :

1997 – न्यू साउथ वेल्स की टीम में चयन।
2001 – ऑस्ट्रेलियाई एकदिवसीय महिला क्रिकेट टीम में चयन।
2003 – ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम में चयन।
2005 – ऑस्ट्रेलियाई T20 टीम में चयन।

कुछ आंकड़े :

लीसा पहली महिला क्रिकेटर है जिसने 1000 रन एवम् 100 विकेट लिए।
आईसीसी ने जब महिला क्रिकेट में रैंकिंग शुरु की तो नंबर 1 ऑलराउंडर बनी।
ऑस्ट्रेलिया महिला टीम की कप्तान भी बनी।
4 बार की ऑस्ट्रेलियाई विश्व कप विजेता टीम की सदस्य।
हाल ही आईसीसी हॉल ऑफ फेम में चुना गया।

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