महाभारत के युद्ध में कर्ण को मारना क्यों असंभव था ?

दानवीर कर्ण कोई बच्चा तो था नहीं जिसे कोई भी मार सके और उसके गुरु परशुराम जी गुरवौ मैं सर्वश्रेष्ठ थे और कर्ण को उन्हों ने ही अस्त्र शस्त्र विद्या दी आइये जानते हैं कि करण को मारना क्यों असम्भव था।

अद्भुत बाहुबल – कर्ण में एक हजार हाथियों का बल था । कर्ण ने मल्लयुद्ध में जरासंध को दो बार हराया था। कर्ण ने अपने अंतिम युद्ध में जब रथ का पहिया भूमि में धंस गया दैववश तब कर्ण ने पहिया को उठाया इससे पहिया नहीं निकला पर बड़े बड़े पहाड़ चार अंगुल ऊपर उठ गए ऐसे करने वाला योद्धा सिर्फ कर्ण ही था। और ऊपर से देवता भी कर्ण का वध करने के लिए अर्जुन को उत्साहित कर रहे थे जाहिर सी बात है अर्जुन को यह मौका उसके बाद कभी नहीं मिलता।

भीम को पराजित और रण से भगाना- कर्ण ने भीम को 12 दिन बहुत बुरी तरह से पीटा । कर्ण ने भीम को प्रतिज्ञा के कारण छोड़ दिया इसका फायदा उठाकर भीम कई बार कर्ण को रोक के रखता था क्योंकि कर्ण अर्जुन के पास न जाये क्योंकि कर्ण के पास वसावि शक्ति अस्त्र था जिससे बचाना था अर्जुन को।

कृष्ण का कर्ण को अर्जुन की तरफ बढ़ता देख रथ भगा ले जाना- युद्ध के 12 दिन कर्ण खुद अर्जुन को ललकार कर युद्ध करने की चुनौती दी और धनुष पर वासवि शक्ति प्रकट की पर भगवान कृष्ण ने कर्ण के रथ को देख तुरन्त अर्जुन के रथ को सेना के पीछे लगाकर सातकि को इशारा कर कर्ण की तरफ भेजा ऐसा करते देख अर्जुन ने कृष्ण से कहा, अर्जुन उवाच हे माधव अपने सूतपुत्र कर्ण को देख रथ क्यों भगाया तब कृष्ण उवाच- अर्जुन तुमको कर्ण के शक्ति अस्त्र से बचाने के लिए ऐसा किया । वरना वो सूतकुमार तुम पर शक्ति अस्त्र का प्रयोग करने वाला था इससे तुम्हारी मृत्यु तय थी।

सात्यकि का रण छोड़ कर कर्ण के नाम सुनकर भागना- भगवान कृष्ण ने अपना विजय रथ जो दिव्य था उसे सात्यकि को देकर कर्ण से लडने को कहा ताकि वह कर्ण के शक्ति अस्त्र का नाश कर दे इतने में कर्ण ने सातकि को इतना मारा की सात्यकि रण छोड़ कर भागने लगा और ऐसा देख कौरव सेना ज़ोर से कर्ण का नाम लेती वैसे ही सातकि और जोर से भागता सातकि जहां जहां अपनी सेना लेकर जाता कर्ण वहां पहुंच जाते कभी कभी वह सात्यकि सामान्य योद्धा को कर्ण समझ कर कहीं दूर भाग जाता ।

कर्ण के सारथी मामा शल्य से अर्जुन कृष्ण का बातचीत- महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले शल्य अपने भांजे नकुल सहदेव से मिलने आते तब कृष्ण ने मामा शल्य से वचन लिया की अवश्य कर्ण जानता है की आप और मैं पुरे आर्यावर्त में सबसे अच्छे सारथी के रूप में जाने जाते हैं इसलिए कर्ण अर्जुन से युद्ध करने के लिए आपको अपना सारथी बनाना चाहेंगा इसलिए कर्ण के रथ को हर बार विपरीत दिशा में लै जाना और उसके व्यक्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगा कर उसको अंदर से तोड़ देना इस तरह आप पांडव की सहायता कर सकते हैं।

कर्ण को कमजोर करने के लिए उसके पुत्र का छल से वध करना – कर्ण के आठ पुत्र ने महाभारत युद्ध में भाग लिया । नकुल सहदेव ने कर्ण को अर्जुन पर भारी पड़ता देख दोनों ने कर्ण के पुत्र पर हमला कर दिया चूंकि वो धनुर्धर थे इसलिए ना चाहते हुए भी तलवार से युद्ध करना पड़ा और इस तरह कर्ण के पुत्र का छल से वध कर दिया और उनके शवों को कर्ण के पास घोड़ों पर छोड़ दिया। इसी हादसे का बदला लेने के लिए कर्ण पुत्र वृषकेतु पांडव से बैर रखने लगा था क्योंकि पांडव उसके भाइयों को छल से मारा और पिता को भी।

कवच कुंडल की छति- पांडव का अज्ञातवास शुरू होने से कुछ पहले इंद्र ने कर्ण से कवच कुंडल मांग कर उसे अपने साथ ले जा रहें थे तभी इंद्र का रथ जमीन में धंस गया और भविष्य वाणी हुई की देवता होकर किसी मनुष्य को अपने लाभ के लिए दुःख देना अच्छी बात नहीं इसीलिए आपको अब यही रहना होगा तब इंद्र ने इसका उपाय पूछकर कर्ण को बेमन से वासवि शक्ति देना पड़ा ।

इस प्रकार इतने पापड़ बेलने के पश्चात भी अर्जुन का कर्ण का छल से वध करना पड़ा । लोग कहते हैं कि करण को कुछ ज्यादा उल्लेख किया है जबकि कर्ण की जीवनी और संघर्ष इतना बड़ा था की हर किसी को उसके बारे में जानने की उत्सुकता होती है जो आज भी है।

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