मर्दों की ऐसी सच्चाई जिसे किया जाता है अक्सर अनदेखा

सभी लोग जानते हैं के मर्द बहुत कठोर, सहनशील, और ताकतवर होते हैं, इन्हे रोते हुए बहुत कम देखा जाता है लोगों के तथ्य है के जो मर्द रोता है वो कमज़ोर होता है, लेकिन लोग ये नहीं समझते हैं के वो भी एक इंसान है उसकी भी भावनाएं होती हैं, उसके साथ भी सुख दुःख और दर्द जुड़ा होता है वो कोई रोबोट नहीं होता।

आज मैंने कुछ ऐसे पहलुओं पर रोशनी डालने की कोशिश की है जिसपर कभी किसी का धयान नहीं जाता, आइये निचे दिए गए पहलुओं पर गौर करते हैं।

एक 27 वर्षीय बेरोजगार भारतीय महिला के पास विकल्प है, घर पर रहने का और किसी ऐसे व्यक्ति से शादी करने का जो उसे लक्जरी लाइफ दे सके वहीं दूसरी तरफ एक 27 वर्षीय बेरोजगार भारतीय पुरुष, उसे बहुत चिंता करने की जरूरत है और शायद अगले कुछ सालों के लिए उसे शादी को भूल जाना चाहिए।

कॉर्पोरेट कल्चर में मौजूद समानता के बावजूद आम तौर पर पुरुषों से अपने महिला समकक्षों की तुलना में कठिन परिस्थितियों में काम करने की उम्मीद की जाती है।

बारह घंटे काम करना अपने परिवार के लिए दूसरे शहर, देश, दुनिया भर में काम के सिलसिले में भटकते फिरना फिर भी पुरुषों को उनके काम के लिए कोई मान्यता नहीं मिलती। कोई भी पुरुष दिवस नहीं मनाता है।

यदि आप घर के कामों में हाथ बंटाते हैं तो समाज आपको जज करता है। यदि आप घर के कामों में हाथ नहीं बंटाते हैं, तो आपकी पत्नी आपको जज करती है।

पिता का जन्मदिन आम तौर पर परिवार में किसी को याद नहीं रहता, भले ही वह सबके जन्मदिन पर हमेशा सर्वश्रेष्ठ उपहार देते हों।

पुरुषों को अपने आंसुओं को सबसे कठिन परिस्थितियों में छिपाना होता है ताकि दूसरे अपने सिर को उनके कंधे पर रख कर रो सकें।

पुरुषों पर आरोप लगाकर उनके जीवन को बर्बाद करना आसान है, कई बार यह देखा गया है कि उन्हें उन चीज़ों के लिए दोषी ठहराया जाता है जिन्हें उन्होंने किया ही नहीं है।

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