मरने के बाद इंसान की आत्मा भटकती है पर जानवरों की क्यों नहीं, जबकि उनका तो क्रियाकर्म और म्रत्यु भोज भी नहीं होता है?
एक बाइक की स्पीड जितनी तेजी होगी उससे गिरकर चोट लगने की संभावना भी उतनी ही अधिक होगी ।आप चाहे तो इस बाइक से अपनी मंजिल तक जा सकते हैं नहीं तो बीच रस्ते मे ही हडिया तुड़वा सकते हैं यह आप पर निर्भर हैआपके पास एक ऐसा दिमाग है जो बहुत ही तीव्रता से चीजों को पकड़ सकता है लेकिन जानवरों के अंदर ऐसा दिमाग नहीं है।
उनको पेट भरने की चिंता के अलावा कोई चिंता नहीं होती है। मतलब उनके पास वासनाएं लगभग ना के बराबर होती हैं।और भूत बनने का कारण वासना की तीव्रता है। इंसान के पास वासना की तीव्रता बहुत अधिक होती है। यही वजह है कि वह भूत बन सकता है। और उसी तीव्रता का प्रयोग करके वह मोक्ष तक जा सकता है।
यह इंसान पर निर्भर करता है कि वह उस तीव्रता का किस प्रकार से उपयोग करता है है। यदि मैं आज ही जानवर की तरह जीना आरम्भ कर देता हूं तो मैं भूत नहीं बनूंगा । क्योंकि जब वासना की तीव्रता नहीं होगी तो भूत बनने का कोई कारण ही नहीं होगा ।