मंत्र, तंत्र, शाबर मंत्र और बीज मंत्र में क्या अंतर होता है?

मंत्र सबर भी होते हैं वैदिक भी होते हैं। आप साबर मंत्र और वैदिक मंत्र के बीज मंत्र के विषय में जानना चाहते हैं इसमें फर्क क्या है। साबर मंत्र-हम सब जानते हैं साबर मंत्र का प्रयोग हर गांव गांव मैं होता है। साबर मंत्र मैं पहले से ही गुरु प्राण प्रतिष्ठित रहते हैं इसलिए इस मंत्र को दीक्षा ले कर भी सिद्धि किया जा सकता है और और बिना दीक्षा लिए भी सिद्ध किया जा सकता है।

हम सब कभी ना कभी झाड़-फूंक किये होंगे जो भी झाड़-फूंक करता है वह साबर मंत्र का प्रयोग ज्यादा करता है क्योंकि साबर मंत्र सरल है शीघ्र ही कार्य करता है प्रभाव भी तुरंत दिखाता है। साबर मंत्र को सिद्ध करने के समय कुछ भी गड़बड़ भी हो जाए तो भी नुकसान नहीं होता। कुछ दिन जप करने से यह मंत्र शीघ्र ही जागृत हो जाता है और अपना प्रभाव दिखाता है।

वैदिक बीज मंत्र-हर देवी देवता का एक बीज मंत्र होता है। साधारण भाषा में समझे तो खेती में हम लोग पहले बीज लगाते हैं फिर उसमें पानी डालते हैं प्रतिदिन उसको देखरेख करते हैं। कुछ दिन के बाद वह बीज अंकुरित होता है जिसमें से एक छोटा सा पौधा एक नन्हा सा पौधा दिखाई देता है फिर धीरे-धीरे वह एक बड़ा सा पेड़ का रूप लेने लगता है।

समय आने पर उस पेड़ में फल होता है जिसको हम बाजार में बेचकर पैसा कमाते हैं और घर में भी खाते हैं। बीज मंत्र को किसी गुरु से दीक्षा लेकर जप किया जाए तो धीरे धीरे यह जागृत होने लगता है और अपना प्रभाव दिखाने लगता है। एक बार एक जागृत हो जाने पर साधक के हर मनोकामना पूर्ण कर सकता है।

यह मंत्रों का बैटरी की तरह है। जहां साबर मंत्र में सिद्धि बिना कठिनाई की मिल जाती है वहां पर वैदिक बीज मंत्र पर कठिन परिश्रम करना पड़ता है तब जाकर सिद्धि मिलती है। आसान भाषा में कहें तो साबर मंत्र और वैदिक बीज मंत्र को प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा करके जप करने से आपके सारे मनोकामना पूर्ण होंगे।

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