भूतिया बरगद के पेड़ की पढ़े डरावनी काहनी

बोहत दिनों बाद जया ऑफिस से छुट्टी लेकर अपने दादी के गाँव पहुँची।दादी के साथ मिलने के बाद जया बोहत खुस हुयी और उसे पुरा गाँव घुमाने को कहा।जब वो गाँव घुमने निकले तब उनको अच्छे अच्छे जगह देखकर मजा मिल रहा था।तब उनको एक जगह पर बरगद का पेड़ दिखा,वह बरगद का पेड़ जया को अपनी ओर खीचने लगा उसी समय दादी ने उसे रोक दिया।

जया ने जब इसका कारण पूछा तब दादी बताने लगी,’बोहत साल पहले गाँव में एक लाला की सोने की दूकान थी वह अपने हातो में और गले में सोना पहनकर घूमता था।परंतु एक दिन उसपर रघु और कालिया इन डाकुवो की नजर पड़ी।उन्होंने लाला को लुटने की योजना बनायी।लाला को लुटने के लिए रघु रात में बरगद के पेड़ के निचे छुपने लगा उसी समय वह पेड़ भूतिया पेड़ में बदल गया और रघु को दबोच लिया उसके बाद भूतिया बरगद के पेड़ की आत्मा रघु के शरीर में चली गयी।कुछ समय बाद रघु का दोस्त कालिया आया .

और उसके पिछे लाला भी आया तब रघुने दोनों को पकडर मार दिया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा।रघु अब हर दिन किसी न किसी को मारने लगा और गाँव में घुमने लगा।गाँव वाले रघु की हरकत से डरने लगे और उससे बचने लगे।एक दिन रघु का सामना एक अघोरी बाबा के साथ हुवा तब उस अघोरी बाबा ने उसे अपने वश में कर लिया।अघोरी बाबा में गाँव वालो को बुलाया उनका डर दूर करने के लिए रघु को रघु के हातो ही मार दिया।

बाबा ने गाँव वालो बताया की तुम्हारे गाँव का बरगद का पेड़ अब भूतिया बरगद का पेड़ बन गया है इसलिए तुम रघु के शरीर के उस भूतिया बरगद के पेड़ के निचे गाड़ दो,तभी वह पेड़ शांत होगा और रघु की आत्मा को शांती मिलेगी।अघोरी बाबा ने गाँव वालो को बताया की आज के बाद कोई भी इस पेड़ के पास जाना नहीं।अगर कोई भी इसके पास गया तो संकट फिर से गाँव आयेगा’।जया को अब पता चल चूका था की वह पेड़ उसे अपनी और क्यों खीच रहा था।दादी की ये बात सुनकर जया वहा से तुरंत उस पेड़ की ओर देखते-देखते अपने घर की ओर निकल पड़ी।

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