भारत में संसद और सुप्रीम कोर्ट में कौन अधिक ताकतवर है ?

दोनों अपने क्षेत्र में संप्रभु हैं लेकिन यदि दोनों की आपस में तुलना करें तो न तो संसद सुप्रीम कोर्ट से अधिक ताकतवर है और न ही सुप्रीम कोर्ट संसद से। आइए संक्षिप्त में देखते हैं ऐसा कैसे और क्यों है ?


पवित्र भारतीय संविधान में शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत निहित है। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार के तीनों अंग विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का विभाजन है।

सरल शब्दों में कहें तो सामान्यतः विधायिका का काम है कानून बनाना, कार्यपालिका का काम है विधायिका द्वारा बनाए गए कानून को क्रियान्वित करना और न्यायपालिका यह देखती है कि जो कानून विधायिका ने बनाया है, वह संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप है कि नहीं। सामान्यतः तीनों अंग अपने अधिकारिता क्षेत्र में काम करते हैं और दूसरे के अधिकारिता क्षेत्र में दखल नहीं देते।

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