भारत में मृतक के नाक और कान में रुई डाल दी जाती है,इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण क्या है?
जब किसी इन्सान की मौत हो जाती है तब शरीर से प्राण तत्व निकल जा चुका होता है । बाकी बचे तत्व शरीर को सड़ाना शुरु करते है यह क्रिया शरीर से प्राण छूटते ही शुरु हो जाती हैं ।
सड़ने की क्रिया में सबसे पहले जल तत्व का नंबर आता हैं । जिसमें खुन शामील है, यह खुन मृत्यु पश्चात सबसे पहले बदलना शुरू हो जाता हैं । खुन में जो स्थूल घटक होते है उनका विघटन हो कर उसमें से जल तत्व अलग हो जाता हैं ।
मनुष्य देह में नौ द्वार होते है इन नौ द्वारों में से विघटित हुए खुन का जो जल तत्व होता है वह बहना शुरु हो जाता है । उसमें से भी मुख, नाक, कान, से रक्त विघटित पानी जल्द बाहर निकलने लगता है । और इसमें भी मुख तो जबरन भी बंद किया जा सकता है । इसलिए मुख बंद करके पानी का बहाव रोक दिया जाता है । किंतु कान और नाक से पानी का बहाव रोकना थोड़ा मुश्किल होता हैं । दिमाग से जो पानी का बहाव होता है वह कान से ही निकलता है । किंतु कान में भी पड़दा होने की वजह से कान से पानी के बहाव में भी रोक हो सकती है । लेकिन नाक की नसें जो दिमाग से लेकर दिल तथा फेफडों तक भी खुलने की वजह से दिमाग से निचे आने वाले खुन का पानी तथा शरीर के निचले भाग से शरीर में जो गैस होती है और जो बाहर निकलना चाहती है उसके प्रेशर से बाकी शरीर के खुन का बना पानी का दबाव जो छिद्र खुले है उस दिशा बढ़ने लगते है।
यह लगभग वैसा ही होता है जैसे किसी टंकी का पानी बाहर निकलने के लिये जिस भी दिशा के पाइप से बाहर की ओर बहाव को बैचैन होता है बिल्कुल उसी तरह यह शरिरांतर्गत खुन का विघटित पानी वेग के साथ बाहर निकलना शुरु होता हैं ।
क्योंकी यह पानी एक मृत शरीर से बाहर निकलता है जिसमें या तो काफी बिमारियों से मृत हुआ शरीर होता है । या फिर शरीर मृत होने की वजह से जीवाणुओं के साथ उस पानी का बहाव होता हैं।
बाकी जिवित इन्सान जिन्हे इस दूषित पानी की वजह से बिमार न पड़ जाए इसलिये तथा वह जो पानी बहता है उसकी शारिरीक वायू की वजह से बदबु भी फैल जाती है । इन सबसे दूसरों को बचाने के लिये मृतक के कान तथा नाक में रुई ड़ाली जाती है ।