भारत के लोगों को भूटान जाने के लिए किन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है?

भूटान जाना उतना ही आसान है जितना कि दर्जिलींग या सिक्किम जाना। अगर आप ट्रेन से सफर कर रहे हैं तो दार्जीलिंग या सिक्किम के लिए सिल्लीगुड़ी अथवा न्यू जलपाईगुड़ी में ट्रेन छोड़नी पड़ती है। भूटान जाने के लिए नजदीकी स्टेशन हासिमआरा है। सिल्लीगुड़ी से भी टैक्सी रिज़र्व कर भूटान जाया जा सकता है। भारत का भूटान से नजदीकी एयरपोर्ट बागडोगरा है। बागडोगरा से ही टैक्सी रिज़र्व कर दर्जिलींग, गंगटोक अथवा भूटान जा सकते हैं। वैसे अब सिक्किम में भी एयरपोर्ट का उद्घाटन हो चुका है पर अभी कनेक्टिविटी कम है। भूटान में एक ही एयरपोर्ट है जो कि पारो में है। जब मैं गया था तब दिन में दो ही फ्लाइट जाती थीं जिसमें से एक भारत से जाती थी।

सड़क मार्ग से पश्चिम बंगाल के शहर जयगांव पहुंचा जा सकता है जो कि सिल्लीगुड़ी से ज्यादा दूर नहीं है। भूटान का फुन्टशोलीन और भारत का जयगांव ट्विन शहर हैं। यहीं से टैक्सी लेकर भूटान में प्रवेश किया जा सकता है।

भारतीय नागरिकों को भूटान जाने के लिए वीसा की आवश्यकता नहीं पड़ती न ही पासपोर्ट होना जरूरी है। बस एक आइडेंटिटी प्रूफ रखना पड़ता है। जब आधार कार्ड नहीं आया था तब मतदाता पहचान पत्र एक ऐसा आइडेंटिटी प्रूफ था जिसे भूटान की एम्बेसी मान्यता देती थी। अगर आपके पास मतदाता पहचानपत्र के अलावा कोई आइडेंटिटी प्रूफ रहता तो उसे भारतीय एम्बेसी से सत्यापित कराने की जरूरत पड़ती है। बच्चों के पास अक्सर स्कूल का आइडेंटिटी कार्ड रहता है उसे भी भारतीय एम्बेसी से सत्यापित कराना पड़ता है। अब आधार कार्ड भी शायद सत्यापित कराने की जरूरत ना पड़ती हो।

घबराने की जरूरत नहीं यह सब आसान और तुरंत पूरी होने वाली प्रक्रिया है। अकसर जो टैक्सी आप भूटान जाने के लिए बुक करते हैं वह टैक्सी वाले ही सारा काम करा कर ला देते हैं या आपके साथ रहकर आपका काम करवा देते हैं।

फुन्टशोलीन से सिर्फ पारो और राजधानी थिम्पू जाने का परमिट मिलता है। अगर आपको अन्य जगहों जैसे पुरानी राजधानी पुनाखा जाना हो तो थिम्पू से परमिट मिलता है जो कि एक आसान प्रक्रिया है।

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