भारत इतिहासिक खुदाई में बुद्ध ही क्यों मिलते हैं, हिंदू देवी-देवता क्यों नहीं? क्या है मसला? जानिए वजह

अगर यह कोई राजनीति संबंधित सवाल है तो शायद कोई जवाब नहीं है।

अध्यात्म से संबंधित देखें तो हिमालय के महर्षि सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी बताते हैं कि गौतम बुद्ध ने अपने मृत्युपत्र में बताया था कि मेरे जाने के बाद मेरी मूर्तियाँ न बनाई जाए।

वे मूर्तिपूजा से भी आगे, उपर उठाना चाहते थे, ध्यान के जरिए भीतर उत्क्रांति लाना चाहते थे लोगों को, पर देखो कैसा अचरज है कि आज विश्व में सबसे ज्यादा मूर्तियाँ उनकी है। और ध्यान? जो स्थिति में वे ले जाना चाहते थे, वह कहाँ? आज लोग योगासन को ही योग समझने की भूल कर रहे हैं।

रही बात हिन्दू देवी-देवता की, तो वह भी खुदाई में मिलती ही है। और उन मूर्तियाँ कितनी जबरदस्त प्राण ऊर्जा से प्रतिष्ठित थी कि लोग सांनिध्य पाने के लिए मंदिर में जाते थे, ध्यानमंदिर समान मंदिर का महत्व था।

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