भादरिया लाइब्रेरी” थार के रेगिस्तान में जमीन से 16 फुट नीचे 9 लाख पुस्तकों का अनोखा संग्रहालय,जानिए कैसे
राजस्थान को कई कारणों से जाना जाता है मरुभूमि ने इस देश को कई शूरवीर दिए हैं. इसके साथ ही यहां के किले, राज महल और खासकर उम्मेद भवन पैलेस, हवा महल, चित्तौड़ का किला बहुत प्रसिद्ध हैं. यहां पर उपस्थित 170000 स्क्वायर किलोमीटर का थार का रेगिस्तान दुनिया का 17वा सबसे बड़ा रेगिस्तान है. राजस्थान का इतिहास भी बहुत गौरवशाली रहा है इसी भूमि पर पन्नाधाय जैसी एक वीरांगना हुई जिसने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि मानकर उसका निर्वहन करने के लिए अपने पुत्र की भी बलि दे दी. लेकिन आज हम जिस बारे में बात कर रहे हैं वह ना तो राजस्थान के इतिहास के बारे में है और ना ही ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में है यह है एक पुस्तकालय के बारे में. राजस्थान अपने आप में कई ऐतिहासिक धरोहरो के साथ साथ एशिया के सबसे बड़े पुस्तकालयों में से एक “भादरिया लाइब्रेरी” को अपने अंदर संजोए हुए हैं. जी हां, यह एशिया के सबसे बड़े पुस्तकालयों में से एक है.
यह लाइब्रेरी पोकरण तहसील के भादरिया गांव में बनी हुई है. जो कि राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है. और सबसे रोचक बात यह है कि यह लाइब्रेरी जमीन की सतह से 16 फुट नीचे अंडर ग्राउंड में बनी हुई है. और इसमें एक साथ 4000 लोग बैठ कर यहां पर उपस्थित पुस्तकों को पढ़ सकते हैं. वर्तमान में यहां पर कुल 900000 से भी अधिक पुस्तकें संग्रह करके रखी हुई है.
जमीन की सतह से नीचे होने के कारण यह लाइब्रेरी थार की 50 डिग्री सेंटीग्रेड के करीब तापमान की भयंकर गर्मी में भी शीतल रहती है.
इस लाइब्रेरी के इतिहास को अगर पढ़ें तो यह हरवंश सिंह निर्मल जी के द्वारा बनाई गई थी. जिनको भादरिया महाराज के नाम से भी जाना जाता है. उन्हें विभिन्न विषयों पर किताबें पढ़ने का बहुत शौक था और इसी शौक के चलते उन्होंने दुनिया के विभिन्न भागों से पुस्तकों को इकट्ठा किया एवं उन्हें पढा़ और यहाँ पर हजारों किताबें ऐसी भी हैं जिन्हें लोगों ने उन्हें उपहार में भेंट की. फिर गांव वालों ने जब जगदंबा मंदिर के लिए फंड इकट्ठा किया तो मंदिर के साथ साथ इस भूमिगत लाइब्रेरी का भी निर्माण किया गया.
भादरिया गांव के निवासियों के अनुसार भादरिया महाराज कई वर्षों तक इसी लाइब्रेरी में रहे एवं वहां पर उपस्थित लगभग सभी पुस्तकों को उन्होंने पढ़ा.
इस लाइब्रेरी में विज्ञान एवं खगोल शास्त्र से लेकर इतिहास एवं लगभग हर विषय की पुस्तक उपलब्ध है.
यहाँ पुस्तके व्यवस्थित रूप से संरक्षित रहे इसके लिए 562 कांच की अलमारियां बनी हुई है जिनमें ये पुस्तकें रखी रहती है. इसके साथ ही इस भूमिगत लाइब्रेरी में साफ सफाई का बहुत ही खास ध्यान रखा जाता है आपको ढूंढने पर धूल का एक कण भी नहीं नजर आएगा इस पुस्तकालय के रखरखाव में हर साल लगभग 6 से 7 lakh रुपए का खर्च आता है.
हिंदुस्तान तथा विश्व के किसी भी कोने से कोई भी व्यक्ति यहां आकर इन पुस्तकों को पढ़ सकता है. वर्तमान में इस पुस्तकालय की देखरेख जगदंबा सेवा समिति के द्वारा की जाती है. प्रतिवर्ष लगभग 60,000 पर्यटक एवं शोधार्थी यहां इन पुस्तकों को पढ़ने के लिए आते हैं पुस्तकों को पढ़ने के शौकीन व्यक्तियों के लिए यह जगह किसी स्वप्न के साकार होने के जैसा है.