बड़ी खबर: कोरोना: बिहार-यूपी में नदियों में तैरतीं अधजली लाशों से परेशान होते लोग

बिहार में बक्सर के चौसा प्रखंड में ही गंगा नदी में ही सिर्फ़ लाशें तैरती नहीं दिखी हैं, बल्कि ज़िले के सिमरी प्रखंड के केशोपुर पंचायत, वीस का डेरा, तिलक राय का हाता और मानसिंह पट्टी में भी स्थानीय लोगों के मुताबिक़ गंगा में लाशें फेंकी जा रही हैं.

बक्सर के सिमरी में भी लाशें मिलने का दावा किया गया है. सिमरी पश्चिमी के ज़िला पार्षद विजय मिश्रा ने बीबीसी को बताया, “लोग ग़रीब हैं, दाह संस्कार नहीं कर पा रहे है. प्रशासन का भी कोई सहयोग नहीं मिल रहा है तो परिजन शव ऐसे ही गंगा जी में फेंक कर चले जा रहे है. घाट किनारे आकर शव लग रहे हैं. मानसिंह पट्टी, केशोपुर पंचायत जो गंगा जी से एकदम नज़दीक 100-150 मीटर की दूरी पर हैं, वहाँ दुर्गंध फैल रही है.”

हालाँकि, सिमरी के प्रखंड विकास पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने बीबीसी से कहा, “चौसा प्रखंड में लाशें मिलने के बाद 10 मई की शाम से ही अंचलाधिकारी और मैं ख़ुद भी प्रखंड के गंगा से सटे इलाक़ों में गया था लेकिन हमें ऐसा कोई मामला नहीं मिला है. अगर भविष्य में ऐसी कोई लाश मिलती है, तो हम उसका रीति रिवाज के मुताबिक़ ही दाह संस्कार करेंगे.”

गाँव वाले क्या कहते हैं?

लेकिन प्रखंड विकास पदाधिकारी के दावों से अलग इन गाँवों के लोग घाट किनारे लाश मिलने की बात करते हैं.

केशोपुर पंचायत के योगेश कुमार यादव कॉलेज में पढ़ते हैं. उनका घर गाँव के घाट के एकदम पास है.

वो बताते हैं, “हमारा पूरा वॉर्ड लाश की दुर्गंध से परेशान है. खाना तक नहीं खाया जाता. कोरोना के वक़्त में लोग लाश ऐसे ही फेंक कर चले जाते हैं, मना करने पर मानते नहीं हैं. रोज़ाना यहाँ लाशें दिखती हैं, प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है.”

प्रखंड की बलिहार पंचायत के दिवाकर ने बताया, “हमारे गाँव के बगल में ही वीस का डेरा का घाट है. यहाँ पर 10 मई की शाम को पता चला कि 10 से 15 लाशें घाट पर लगी हैं, जिसके बाद हम लोगों ने लंबे बांस की सहायता से लाशों को बहते पानी की ओर धकेला. ये सारी लाशें कोरोना की वजह से आ रही हैं.”

इसके अलावा इस प्रखंड के कपिल मुनि और बंटी कुमार ने भी बीबीसी से लाशों की वजह से हो रही परेशानियों की तस्दीक की.

सिवान में भी परेशान लोग
ऐसा नहीं है कि कोरोना काल में लाशों की हो रही इस बेकद्री से सिर्फ़ बक्सर के लोग परेशान हैं. सिवान के गुठनी प्रखंड के योगियाडीह गाँव के लोग भी परेशान हैं. योगियाडीह के निवासियों ने गाँव की सड़क पर बांस लगाकर मिश्र घाट (श्मशान घाट) जाने का रास्ता ही बंद कर दिया है.

गाँव के विनोद सिंह ने बीबीसी को बताया, “यहाँ गंडक नदी है, जिसके किनारे मिश्र घाट पर बनक्का, कटही, रामपुर, सोहनपुर, चिलमरवा यानी इस इलाक़े और यूपी दोनों से ही शव दाह संस्कार के लिए आते हैं.”

वो बताते हैं, “अभी जो लोग दाह संस्कार के लिए शव ला रहे हैं, वो शव को आग लगा कर भाग जाते हैं. शव के पूरा जलने का इंतज़ार भी नहीं करते. अभी सूखी लकड़ी बहुत मुश्किल से मिल रही है इसलिए लाशें पूरी जलती नहीं हैं.”

“अधजली लाशें ऐसे ही घाटों पर फेंकी रहती हैं, जिसे कुत्ते खाकर पूरे गाँव में घूमते हैं. गाँव घर में कई लोगों को सर्दी खाँसी हो गई है और हमारे गाँव के एक आदमी भी 9 तारीख़ को पॉज़िटिव होकर मर गए.”

वहीं गुठनी के प्रखंड विकास पदाधिकारी धीरज कुमार दुबे ने बीबीसी से इस बाबत कहा, “घाट पर मजिस्ट्रेट लोगों की नियुक्ति की गई है, जो वहाँ की व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं. किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है.”

71 लाशों का पोस्टमार्टम
गंगा नदी के किनारे बसा बक्सर ज़िला, बिहार और उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती ज़िला है. इसके उत्तर में यूपी का बलिया, दक्षिण में बिहार का रोहतास ज़िला, पश्चिम में यूपी का ग़ाज़ीपुर और बलिया ज़िले तथा पूरब में बिहार का भोजपुर ज़िला लगता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *