“बिना ताज का बादशाह” किसे कहा जाता है?
सुरेन्द्रनाथ बनर्जी’ ने ‘बंगाल विभाजन’ का घोर विरोध किया था। विभाजन के विरोध में सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने ज़बर्दस्त आंदोलन चलाया, जिससे वे बंगाल के निर्विवाद रूप से नेता मान लिये गये। वे बंगाल के बिना ताज़ के बादशाह कहलाने लगे थे।
बंगाल का विभाजन 1911 ई. में रद्द कर दिया गया, जो सुरेन्द्रनाथ बनर्जी की एक बहुत बड़ी जीत थी। लेकिन इस समय तक देशवासियों में एक नया वर्ग पैदा हो गया था,
जिसका विचार था कि ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ के वैधानिक आंदोलन विफल सिद्ध हुए हैं और भारत में स्वराज्य प्राप्ति के लिए और प्रभावपूर्ण नीति अपनाई जानी चाहिए।