बाँध बनाकर विद्युत कैसे उत्पन्न किया जाता है? जानिए
बांध बनाकर विद्युत को उत्पन्न करने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है। मैं इसकी एक संक्षिप्त जानकारी यहां दे रहा हूं। ऐसा विद्युत संयंत्र जहां बांध बनाकर और पानी को ऊंचाई पर भंडारित करके उसकी ऊर्जा का उपयोग विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है, उसे पनबिजली संयंत्र (Hydroelectric Power Station) कहते हैं।
यह भारत के कोलडैम में स्थित एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन है। इसकी वर्तमान क्षमता 800 मेगावाट है।
हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन के मुख्य अवयव :
बांध (Dam) – हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन बनाने का सबसे पहला चरण बांध का निर्माण है। यही वह कार्य है जिसमे सबसे अधिक समय लगता है और खर्च भी बेतहाशा होता है। यहां यह जानना जरूरी है कि बांध के निर्माण का उद्देश्य सिर्फ बिजली का उत्पादन ही नहीं बल्कि सिंचाई की व्यवस्था, पीने योग्य पानी की व्यवस्था और भी अन्य बहुत से कार्यों में होता है। बांध का निर्माण मुख्यत: पानी के बहाव को नियंत्रित करता है और पानी को ऊंचाई पर भंडारित करने में सहायता करता है।
रिजर्वायर (Reservoir) – यहां पर पानी को स्टोर किया जाता है। वर्षा का पानी भी यहीं संग्रहित होता है। इसकी क्षमता बहुत अधिक होती है।
पेनस्टॉक (Penstock) – यह एक प्रकार की स्टील अथवा कंक्रीट की बनी पाइप होती है जिससे होकर पानी ऊपर से नीचे की ओर आता है।
टर्बाइन (Turbine) – ये मुख्यत: वाटर टर्बाइन होते हैं जो पानी का तेज प्रवाह आने पर घूमते हैं। जब ऊंचाई से गिरता हुआ पानी इनके ब्लेड से टकराता है तो ये गति करने लगते हैं।
जेनरेटर (Generator) – यह टर्बाइन से जुड़ा रहता है। जब टर्बाइन घूमता है तो इसमें भी गति होती है और इस प्रकार यह यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल देता है।
इसके अलावा हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन में बहुत प्रकार के ऑक्सिलिरी उपकरण, सेफ्टी वाल्व इत्यादि भी दिए जाते हैं।
हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन कैसे काम करता है?
इसकी कार्यविधि बहुत आसान है। रिजर्वायर में पानी को ऊंचाई पर संग्रहीत कर लिया जाता है। इतनी अधिक ऊंचाई पर पानी में बहुत अधिक ऊर्जा होती है। अब पानी को पेनस्टॉक के द्वारा नीचे टर्बाइन पर गिराया जाता है। इस बहते हुए पानी में बहुत अधिक गतिज ऊर्जा होती है। जब पानी टर्बाइन के ब्लेड से टकराता है तो टर्बाइन इस ऊर्जा को ग्रहण कर लेता है। इस प्रकार पानी की कुल ऊर्जा टर्बाइन की गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। इससे टर्बाइन घूमने लगता है। जब टर्बाइन घूमता है तो यह जेनरेटर को घुमाता है। जेनरेटर के घूमने से विद्युत पैदा होती है।
हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह प्राकृतिक होता है जिससे पर्यावरण को कोई खास हानि नहीं पहुंचती। साथ ही इसका ऑपरेटिंग खर्च भी कम होता है। इसके बावजूद भी इस पावर स्टेशन के निर्माण में लगने वाले अत्यधिक समय, बांध बनाने की कठिन प्रक्रिया और अत्यधिक मात्रा में लोगों का विस्थापन इसकी मुख्य सीमाएं हैं।