फिल्मों में डाकुओं की पगड़ी “काले रंग” की ही क्यों होती है? जानिए वजह

पूर्व-कालीन डाकू सादा जीवन उच्च विचार वाले होते थे।

अपना घर-बार सबकुछ त्यागकर वो बीहड़ों, पहाड़ियों, घने जंगलों में स्थित गुफाओं जैसे निर्जन स्थानों पर रहना पसन्द करते थे।

उनका अपना एक डाकू-ड्रेस कोड भी था।

सफेद धोती, लम्बी-कमीज़ या कुर्ता; उसमे भी रंगों की चॉइस गहरे हरे, नीले, काले या अन्य एक दो रंगों की हुआ करती थी।

फिर कमर में कारतूसों से भरा पट्टा, कंधे पर भी कारतूस का पट्टा और एक अदद पगड़ी; वो भी सिर्फ काले या ज़्यादा से ज़्यादा विनोद खन्ना जैसा हैंडसम डाकू हो तो गहरे नीले रंग की।

माथे पर लम्बा लाल/काला तिलक और चेहरे पर रौबदार मूंछे, बस हो गया डाकू की गेटअप पूरा!

अब पता लगाने का प्रयास करते हैं कि अधिकतर काले रंग की ही पगड़ी क्यों?

दरअसल देखा जाए तो काला रंग, रंग ही नहीं है! वो तो अन्य सभी रंगों की अनुपस्थिति है जिसे हम काला रंग कहते हैं।

काला रंग एक शून्य है। एक खालीपन है वैसे ही जैसे डाकुओं का जीवन होता है। समाज से पृथक एक एकाकी जीवन।

तो ये काला रंग एक तरह का मनोवैज्ञानिक इफ़ेक्ट देता है।

अब देखते हैं काला रंग क्या प्रदर्शित करता है?

काला रंग प्रदर्शित करता है शक्ति, भय, रहस्य, ताकत, क्रोध, उदासी, अधिकार, बुराई, आक्रामकता, एकाकीपन, गहराई और विद्रोह !!

ध्यान दीजिए ये सब किसी डाकू की चारित्रिक विशेषताएं ही तो हैं !

अगर उपर बताई गई विशेषताएं नहीं हों किसी डाकू में तो फिर वो डाकू ही क्या?

अगर ये सब नहीं है तो वो डाकू अपने करियर में ज़्यादा तरक्की नहीं कर पायेगा।

अब जब ये सब विशेषताएं काला रंग ही प्रदर्शित करता है तो जाहिर सी बात है डाकू इसे अपने सर पे ग्रहण करेंगे ही।

इन्हीं सब या इनमें से अधिकांश विशेषताओं को रखने वाले अन्य किरदार जैसे वोल्डेमॉर्ट, ड्रैकुला, बैटमैन, मैट्रिक्स का निओ, ट्रिनिटी, क्रूर सिंह, नई अग्निपथ का कांचा चीना आदि सब भी तो हमेशा ही काले कपड़े पहनते हैं।

अंत मे एक व्यावहारिक कारण भी देख लेते हैं।

उनके अड्डे पर बिजली तो होती नहीं जो वो वाशिंग मशीन लगाएं कपड़े धोने के लिए।

साथ ही उनके पास इतना समय भी नहीं होता होगा कि हर डकैती के बाद घड़ी साबुन की बट्टी लेकर लगें पगड़ी धोने। तथा पहले इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें….।

अब अगर कोई हल्के रंग की पगड़ी होगी तो वो ज़्यादा गन्दी दिखेगी। काले रंग की पगड़ी ज़्यादा दिन चल पाएगी।

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