प्राचीन भारत में सोने चांदी का वजन कैसे किया जाता था? जानिए

आज आपको पुरानी भार मापन पद्धति बताता हूँ, जिससे हमारे पूर्वज सोना चांदी का वजन किया करते थे।

एक पौधा होता है गूंजा नाम का,जिससे फली लगती है ,जिसमे लाल और काला रंग का बीज निकलता है,जिसे रत्ती या चरमु / चीरमी कहा जाता है। इसके पत्ते चबाने से मुह के छाले ठीक हो जाते है

प्रकृति का कमाल देखिए, सभी बीज एक ही वजन के होते है, एक मिलीग्राम का भी फर्क नहीं होता।

रत्ती का पौधा:

रत्ती:

रत्ती भारतीय उपमहाद्वीप का एक पारम्परिक वज़न का माप है, जो आज भी ज़ेवर तोलने के लिए जोहरियों द्वारा प्रयोग किया जाता है। आधुनिक वज़न के हिसाब से एक रत्ती लगभग 0.121497 ग्राम के बराबर है।

इस 1 रत्ती का स्टैंडर्ड वजन होता है 121.497956 मिलीग्राम।

4 धान की एक रत्ती बनती है (121.497)

8 रत्ती का एक माशा बनता है (9.719)ग्राम

12 माशों का एक तोला (11.66)ग्राम

5 तोलों की एक छटाक बनती है (58.3)ग्राम

16 छटाक का एक सेर बनता है (932.8)ग्राम

5 सेर की एक पनसेरी बनती है (4.664) किलो ग्राम

8 पनसेरियों का एक मन बनता है (37.312)किलो ग्राम

आज के समय में वजन की नई गणना आए जाने से इन सब वजन को राउंड फिगर में कर दिया गया है।

आज एक रत्ती का वजन 0.1 ग्राम कर दिया गया है।

1 रत्ती 0.1 ग्राम
10 रत्ती 1 ग्राम
10 ग्राम 1 तोला
10 तोला 100 ग्राम
हीरे जवाहरात का वजन कैरेट में किया जाता है। जो आज के समय की 0.2 ग्राम का एक कैरेट होता है।

अगर किसी को 5 रत्ती का नग पहनने के लिए कहा जाता है तो उसको 0.12×5=0.6 ग्राम का नग पहनना पड़ेगा। जो 3 कैरेट के बराबर होगा।

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