प्राइवेट इंजीनियर और सरकारी इंजीनियरों में क्या अंतर है?

यह मेरे अनुभव पर आधारित है एक सिविल इंजिनियर होने के नाते मैं आपको बता सकता हूं।

जी हां जमीन आसमान का अंतर है यहां पर मै अपनी फील्ड सिविल इजिनियरिंग की बात कर रहा हूं जो कुछ इस प्रकार है।

काम का दायरा

प्रायः यह देखा जाता है सरकारी इंजीनियरों के पास प्रायोगिक ज्ञान प्राइवेट इंजीनियर की अपेक्षा कम होता है यह हर बार साइट पर आता है है प्राइवेट इंजीनियरों को गाली देकर चला जाता है क्यों की इनका काम विभाग मापदंडों का हवाला देना होता है।

अब बात करे प्राइवेट इंजिनियर की तो रेलवे अपने ब्रिज के डिजाइन के लिए प्राइवेट enginneer पर ही निर्भर है मैंने आज तक कोई मॉडर्न ब्रिज डिजाइन रेलवे द्वारा बनाया नहीं देखा यह केवल आरडीएसओ(Research design and standard Organisation) द्वारा अप्रूव की होती है।

क्षेत्र

सरकारी इंजीनियर जिस सरकारी विभाग के इंजिनियर होते है उनका ज्ञान उन्हीं क्षेत्र तक सीमित रहता है उनका काम केवल इतना होता है काम विभाग के माप दंडो के अनुसार चल रहा है कि नहीं।

जैसे – रेलवे के इंजिनियर उनका ज्ञान रेलवे के पटरियों ,रेलवे के बेड, रेलवे के ब्रिज तक सीमित रहता है और वह एक ही काम करते उब जाते है।

ओर अगर हम प्राइवेट इंजीनियर बात करे तो उनका क्षेत्र असीमित रहता है वो लगभग सिविल इंजीनियरिंग के हर क्षेत्र में काम करते है जैसे – सड़क

,पुल

, बिल्डिंग

,फ्रेम स्ट्रक्चर

,डैम,बरेज

,,पावर प्लांट

, टनेल/अंदर ग्राउंड टनेल ,रेलवेज

, सीवर सिस्टम

, रेनफोस वॉल

, रिजिड पवेमेंट रोड्स

, इत्यादि

सबसे मुख्य बात सैलरी

यहां पर प्राइवेट इंजिनियर मात खा जाता है उनकी सैलरी इतनी नहीं होती जितना सरकारी इंजीनियरों की।

सरकारी ओर प्राइवेट इंजीनियरों में प्रायोगिक ज्ञान का बहुत बड़ा अंतर होता है लेकिन अब समय बदल रहा है ज्यादा अनुभवी प्राइवेट इंजीनियरों की मांग बढ़ती जा रही है।

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