पौराणिक कथाओं के अनुसार चाँद के माता-पिता कौन थे?

माता पिता : भगवान चन्द्र देवता के माता पिता का नाम ऋषि अत्रि और अनुसूया था | माता अनसूया को जगत की माता कहा जाता है |

कलाये : चन्द्र देव की 16 कलाये है |

पुत्र : इनके रोहिणी पत्नी से बुध ग्रह के रूप में पुत्र की प्राप्ति हुई है |

मन को नियंत्रण : ज्योतिष शास्त्र में इन्हे मन का कारक बताया गया है | मन में आने वाले विचार चंद्रमा की कला पर निर्भर करते है |

चन्द्रमा के भाई : इनकी माता के दो पुत्र और भी हुए थे | चन्द्र देव के भाई भगवानदत्तात्रेय और ऋषि दुर्वासा थे |

चौदह रत्न में एक : स्कंदपुराण में प्रसंग के अनुसार देवता और दानवो के बीच जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमे एक रत्न चन्द्र देवता भी थे | इनके शिव शंकर ने अपने मस्तिष्क पर धारण कर लिया |

दक्ष कन्याओ से विवाह : इन्होने प्रजापति दक्ष की 27 कन्याओ से विवाह किया | यह सभी कन्याये ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों के रूप में जानी जाती है |

गणेश श्राप : एक बार इन्हे गणेश पर हंसी आ गयी और उस कारण गणेश भगवान ने चंद्र देव को श्राप दे दिया की उनका आकर कभी भी एक सा नही रहेगा | यही कारण है अमावस्या पर चंद्रमा दिखाई नही देते जबकि पूर्णिमा के दिन पुरे दिखाई देते है

पूर्णिमा का महत्त्व : हर माह एक पूर्णिमा आती है | पूर्णिमा का व्रत करके आप चन्द्र देवता को प्रसन्न कर सकते है | इस दिन चंद्रमा पूर्ण दिखाई देते है |

प्रिय चीजे : भगवान चन्द्र देवता को सफेद चीजे प्रिय है | पूर्णिमा के दिन इनकी पूजा खीर , चावल , दूध आदि से करनी चाहिए |

सोमनाथ : चन्द्र देवता ने महा तपस्या करके भगवान शिव के सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी |

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