पैरों में पायल पहनने का चलन कब शुरू हुआ ? क्या ये सिर्फ गहने के तौर पर पहनी जाती है या इसके पीछे कोई तथ्य भी है? जानिए

पायल जिसे पायजेब भी कहते है टखने पर पहनने वाला आभूषण है। भारत में लड़कियों और महिलाओं द्वारा सदियों से पायल और बिछिया पहने जाते हैं। पायल अक्सर चांदी या सोने के होती हैं लेकिन कभी कभार अन्य कम कीमती धातुओं से भी उसे बना सकते हैं। पायल में कुछ छोटी घंटी भी जोड़ी जाती है जिससे चलते समय मधुर आवाज उत्पन्न होती है।

अक्सर ऐसा होता है जिस बातों को हम मान्यता या परंपरा मानते है उन बातों के पीछे कई ऐसे रहस्य छुपे होते है जिनके बारे में हमे पता नहीं होता। जिस तरह हिन्दू संस्कृति का प्राचीन इतिहास रहा है उसी प्रकार महिलाओ का गहनों के प्रति प्रेम भी सदियों पुराना है।

चाहे वह कामकाजी महिलाएं हों, गृहिणी हों सभी के लिए बिछिया एवं पायल सुन्दरता के साथ बेहद स्वास्थ्यवर्धक पाए गये हैं। बिछिया एक महिला के पैर में अंतिम आभूषण के रूप में पहनी जाती है। जैसा की आप जानते होंगे आम तौर पर दोनों पैरों की बीच की तीन उंगलियो में बिछिया पहनने का रिवाज है।

पायल को पहनने के पीछे एक वैज्ञानिक तर्क यह भी मिलता है कि यह हड्ड‍ियों को मजबूत बनाती है। इसका कारण यह है कि पायल जब पैरों पर रगड़ती है तो त्‍वचा के माध्‍यम से इसके तत्‍व हड्डियों को लाभ पहुंचाते हैं।

असल में महिला के सारे श्रृंगार बिछिया और टीका के बीच होते हैं। मुख्यतः धार्मिक प्रसंगों के चलते एक महिला के लिए सोने का टीका और चांदी की बिछिया का भाव ये होता है कि आत्म कारक सूर्य और मन कारण चंद्रमा दोनों की कृपा जीवनभर बनी रहे। भारत में अधिकतर विवाहित महिलाये बिछिया पहनती है और इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है , भारतीय वेदों में सर्वप्रथम बताया गया है कि इन्हें दोनों पैरों में पहनने से महिलाओं का मासिक चक्र नियमित होता है।

वहीं आयुर्वेद अनुसार बिछिया एक्यूप्रेशर का काम करती है, जिससे तलवे से लेकर नाभि तक की सभी नाड़िया और पेशियां व्यवस्थित होती हैं। बेशक फैशन के दौर में इसका चलन काम हो गया हो पर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इसका चलन जारी है और आप ये नहीं जानते होंगे की आयुर्वेद के अनुसार बिछिया और पायल एक्यूप्रेशर का काम करती है, जिससे तलवे से लेकर नाभि तक की सभी नाड़िया और पेशियां व्यवस्थित होती हैं। बिछिया और पायल गर्भाशय को नियन्त्रित करती है और गर्भाशय में सन्तुलित ब्लड प्रेशर द्वारा उसे स्वस्थ भी रखती है । इस कारण ही पैरों में बिछिया महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ाने में भी बहुत अहम भूमिका निभाती है।

पैरों में चांदी की पायल पहनने से मन और मस्तिष्क शांत रहता है। क्योंकि चांदी की धातु को ठंडा माना जाता है। इसके साथ ही धार्मिक रुप से चांदी को मन का कारक माना जाता है।

पैरों में चांदी की पायल पहनने से पैरों की सूजन और दर्द से राहत मिलती है। लेकिन आज के दौर में पायल पहनने का स्वरूप और लुक बदल गया है। जहां महिलाएं दोनों पैरों में पायल पहनती हैं, तो वहीं लड़कियां फैशन के मुताबिक अब सिर्फ एक पैर में ही पहनना पसंद करती हैं।

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