पूर्वजों के मोक्ष के लिए प्रयागराज क्यों प्रसिद्ध है?

प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का अद्भुत संगम है।

शास्त्रों के अनुसार हमारे पितर लोग अपना शरीर छोड़कर चाहे किसी भी लोक में चले जाएं किंतु पितृपक्ष पृथ्वी पर आते हैं और श्राद्ध व तर्पण से तृप्त होते हैं।

शास्त्रों में पितरों का स्थाना सबसे ऊॅचा बताया गया है। पितरों की श्रेणी में मृत माता, पिता, दादा, दादी, नाना, नानी सहित सभी पूर्वज शामिल है। व्यापक दृष्टि से मृत गुरू और आचार्य भी पितरों की श्रेणी में आते है।

राजा दशरथ के श्राद्ध से जुड़ी एक कहानी है। कहा जाता है कि भगवान राम ने त्रिवेणी तट पर ही अपने पूर्वजों का तर्पण किया थ। मान्यता है कि यहां प्रभु राम के पंडों की वो पीढ़ी आज भी है, जिसे वो अयोध्या से लेकर आए थे। प्रयाग के तीर्थ पुरोहितों के मुताबिक भगवान विष्णु चरण भी इलाहाबाद में ही विराजमान माने जाते हैं। इसीलिए श्रद्धालु अपने पूर्वजों के मोक्ष की कामना लेकर यहां आते हैं।

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