पुराने समय में राजा महाराजा लंबे बाल क्यों रखते थे? जानिए वजह

बाल ना सिर्फ आपके सौंदर्य का प्रतीक होते हैा बल्कि ये आपके बारे में और भी बहुत कुछ कहते हैं। ये किसी ना किसी तरह आपकी प्रकृति, सोच, बुद्धि और बल को प्रभावित करते हैं। बालों की प्रक्रिया तो एक ही है लेकिन इसकी विशेषताएं भौगोलिक और पर्यावरणीय स्थितियों के अनुसार बदलती रहती हैं।

कहते हैं कि सिर के बाल जब पूरी तरह से लंबे हो जाते हैं तो वो प्राकृतिक रूप से फास्‍फोरस, कैल्शियम और विटामिन डी पाते हैं। ये अंतत: मस्तिष्‍क के शीर्ष पर दो नलिकाओं के माध्‍यम से शरीर में प्रवेश करते हैा। इस आयनिक परिवर्तन से स्‍मृति और ज्‍यादा कुशल और मजबूत बनती है। इससे व्‍यक्‍ति को शारीरिक ऊर्जा, बेहतर सहनशक्‍ति और धैर्य की प्राप्‍ति होती है।

वहीं कुछ लोगों का तो यहां तक मानना है कि बालों को काटने से ना सिर्फ आप इनकी अतिरिक्‍त ऊर्जा और पोषण खो देते हैं बल्कि आपके बालों को पुन: विकसित करने के लिए बड़ी मात्रा में महत्‍वपूर्ण ऊर्जा और पोषक तत्‍वों को खर्च करना पड़ता है। बालों को शरीर के एंटीना की संज्ञा दी गई है। ये सूर्य की ऊर्जा को इकट्ठा कर मस्तिष्‍क में पहुंचाते हैं।

अगर आप प्राचीन भारत पर गौर करें तो उस समय में भी ऋषि-मुनि आदि लंबे बाल ही रखा करते थे। वे अपने बालों में गांठ लगाकर रखते थे। सिर के ऊपर बालों की यह गांठ ललाट के चुंबकीय क्षेत्र को सक्रिय कर मस्तिष्‍क के केंद्र में पाइनल ग्रंथि को उत्तेजित करता है। पाइनल ग्रंथि की इस सक्रियता के परिणाम स्‍वरूप एक स्राव होता है जो उच्‍च बौद्धिक कार्यकलाप के विकास के लिए केंद्रित होता है।

बाल आपके शरीर के पूरे विद्युत चुंबकीय क्षेत्र को संतुलित करते हैं। जिससे हमको अतंर्ज्ञान और जीवन शक्ति बढ़ाने में मदद करते हैं।

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