पहले की सभी सवारी रेलगाडियां नीले रंग में ही क्यों होती थी ?

अक्सर ट्रेनों में नीले रंग वाले कोच देखने को मिलते हैं. इसको हम ICF कोच यानी Integral Coach Factory कोच कहते हैं. आईसीएफ कोच की स्पीड 70 से 140 किमी/घंटा तक होती है. इसका इस्तेमाल अक्सर मेल एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेनों में किया जाता है. इन सारे डब्बों का निर्माण तमिलनाडु में होता है. क्योंकि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चेन्नई, तमिलनाडु में स्थित है. इसकी स्थापना 1952 में हुई थी.

आपने कभी गौर किया है ट्रेन का रंग नीला या लाल या कोई और रंग का क्यों होता है. इस रंग के पीछे भी कई कारण होते हैं और हर कोच के लिए अलग रंग तय होता है. नीले डब्बों की खासियत है कि इन्हें बनाने में लोहे का इस्तेमाल किया जाता है.

इस वजह से ये डब्बे भारी भी होते हैं. इसके रख-रखाव में ज्यादा खर्च भी होता है. वहीं, अगर बैठने की बात करें, तो सामान्य आरक्षण वाले डब्बे में 72 सीटें और एसी में 64 सीटें होती हैं. इन कोच में एयर ब्रेक का यूज किया जाता है.

साथ ही साथ प्रत्येक 18 महीने में इनको ओवरहॉलिंग की जरूरत होती है.ये फैक्ट्री इंडियन रेलवे के अधीन काम करती है. इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में हर तरह के इंटीग्रल कोच बनाए जाते है जिनमें जनरल, एसी, स्लीपर, डेमू और मेमू कोच शामिल हैं.

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