पत्ता गोभी में टेप वर्म या फीता कृमि होने का क्या सच है?

पत्ता गोभी एक पोषक सब्जी है परंतु कई गुरु और खासकर जैन धर्म में इसे खाने की मनाही कर दी गई है तो क्या इसे नहीं खाना चाहिए?

पत्तागोभी क्यों खानी चाहिए ?

पत्तागोभी देखने में जितनी साधारण हैं उतनी ही गुणों में अमृत के समान हैं, अनेक कष्ट साध्य रोग जैसे कैंसर, कोलाइटिस, हार्ट, मोटापा, अलसर, ब्लड क्लॉटिंग रक्त के थक्के जमने में, उच्च रक्तचाप, नींद की कमी, पथरी, मूत्र की रुकावट में पत्तागोभी बहुत लाभकारी हैं। इसकी सब्जी घी से छौंककर बनानी चाहिए। पत्तागोभी को करमकल्ला के नाम से भी पुकारा जाता हैं। इसका रस, सलाद और सब्जी सभी गुणकारी हैं।[1]

जानते हैं क्यों कुछ लोग इसे खाने से मना कर रहे हैं?

आज से 20 से 25 साल पहले इस तरह के मामले काफी है कि कुछ लोगों ने पत्ता गोभी खाने के बाद तेज सिर दर्द की शिकायत की या फिर उनको मिर्गी के दौरे पड़ने लगे और कुछ की तो जान भी चली गई। ऐसा माना गया कि यह फीता कृमि के फूल गोभी में पाए जाने से हो रहा है।

टेप वर्म या फीता कृमि क्या है ?

यह कीड़ा ज्यादातर जानवरों के मल में पाया जाता है जो कई कारणों से पानी के साथ जमीन में पहुंच जाता है बारिश के गंदे पानी के साथ इसके जमीन पर पहुंचने की सबसे ज्यादा आशंका रहती है इसी वजह से यह कच्ची सब्जियों के साथ हमारे शरीर में पहुंच जाता है। इसके इलावा यह संक्रमित मिट्टी के माध्यम से भी हमारे शरीर में पहुंच सकता है। [2]

यह फीते जैसा पतला लम्बा होता है। इसकी लंबाई ३.५ से २५ मीटर तक हो सकती है और यह 30 साल तक जिंदा रह सकता है ।

कीड़ा टेपवर्म आंतों में जाने के बाद ब्लड फ्लो के साथ शरीर के अन्य हिस्सों और मस्तिष्क में पहुंच सकता है. हमें नग्न आंखों से दिखाई नहीं देता. ये सब्जी उबालने और अच्छी तरह पकाने से मर सकता है. ये कीड़ा जानवरों के मल में पाया जाता है.[3]

फीता कृमि के संक्रमण के मामले पूरी दुनिया में पाए जाते हैं यह खाद्य पदार्थों के रखरखाव आदि के तरीकों से मानव में संक्रमण का कारण बनता है।

यह कीड़ा संक्रमण कैसे फैलाता है?

सबसे पहले आँतों पर हमला करता है और ब्लड सरकुलेशन से हमारे दिमाग तक पहुंच जाता है। दिमाग पर पहुंचने पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। शरीर में पहुंचने के बाद यह अंडे देना शुरू कर देता है जिससे यह हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों में घाव करने लगता है इसके लार्वा से होने वाला संक्रमण को टैनिएसिस कहते हैं। इससे शरीर गंभीर रूप से बीमार होने लगता है।

टेपवर्म के शरीर में होने के क्या लक्षण हैं?

यह जब तक पेट में मौजूद रहता है तब तक तो पता नहीं चलता जबकि यह हमारी आंतों में आने वाले भोजन से जिंदा रहता है, लेकिन जिस वक्त यह कीड़ा दिमाग में पहुंच जाता है तब मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं इसके अलावा तेज सिर दर्द, कमजोरी, थकान, डायरिया, बहुत ज्यादा या बहुत कम भूख लगना, वजन कम होना, शरीर में विटामिंस और मिनरल्स की कमी होना इसके मुख्य लक्षण है।

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