पत्ता गोभी का कीड़ा दिमाग में कैसे घुसता है?
पत्ता गोभी का कीड़ा
पत्ता गोभी एक पौष्टिक गुणों से भरपूर हरी पत्तेदार सब्जी है जो लोग बड़े चाव के साथ खाते हैं । अन्य सब्जियों के साथ मिलाने पर कई मजेदार व स्वादिष्ट व्यंजन बनते हैं, फ़ास्ट फूड में भी इसका जमकर प्रयोग होता है तथा कई तरीके के सलादो में लोग इसे कच्चा ही खाना पसंद करते हैं ।
हम सभी जानते हैं कि मिट्टी (खेतों) में विभिन्न परजीवियों जैसे एस्केरिस, हुकवार्म, टेपवार्म,राउंडवार्म आदि के अति सूक्ष्म अंडे होते हैं जो फसलों में भी आ जातें हैं ।
पत्ता गोभी में मुख्य रूप से टेववार्म नामक परजीवी के अंडे होते हैं । कच्चा उपयोग करनें पर अथवा ठीक प्रकार से नहीं पकाने पर ये अंडे मनुष्य के आमाशय में पहुँच जाते हैं ।
वहाँ HCL के संपर्क में आने पर इनका बाहरी कठोर आवरण गल जाता है। फिर पाचक रसों से अप्रभावित ये अंडे बड़ी आँत में पहुँचते हैं और आँत की म्यूकोसा से चिपक कर छोटे छोटे वार्म के रूप में बड़े होने लगते हैं । ये वार्म हमारे भोजन से ही पोषण प्राप्त करतें हैं ।
कुछ सूक्ष्म वार्म (कीड़े) आँतों की म्यूकोसा को भेद कर मुख्य रक्त धारा में पहुँच जाते हैं । जहाँ ये रक्त के साथ blood brain barrier को तोड़ कर दिमाग में भी पहुँच जाते हैं ।
यह एक चिंता जनक स्थिति होती है क्योंकि ये महीन कीड़े विभिन्न तंत्रिका विकार जन्य रोगों का कारण बनते हैं जैसे फिट्स, मिरगी का दौरा, दिमाग में सूजन, सिरदर्द, यहाँ तक कि लकवा, मेनिन्जाइटस, सब-ड्यूरल इंफेक्सन आदि ।
बचाव-
सब्जियों को अच्छी तरह से धो लें ।
सब्जियों को भलीभांति पकाए ।
हाथों को भी भोजन पूर्व साबुन से धो लें
मिट्टी में नंगे पैर न घूमें
हर 6 माह पर डीवार्म की दवाई अवश्य लें ।