नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी को गोली क्यों मारी थी?

नाथूराम और गांधी जी का खेत एकदम अगल बगल था। नाथूराम उसमें मटर उगाता है। और गांधी जी की बकरी डेली उस के मटर के फसल को चर जाती थी। आये दिन नाथूराम और गांधी जी दोनो में कहा सुनी होती रहती थी।

एक दिन नाथूराम अपनी जोरु से मिलने शहर गया हुआ था। गांधी जी को अपने चरखे के लिए रुई लाने पास के गांव में जाना पड़ा। पर गांधी जी अपनी बकरियों को बाधना भूल गए थे। अब बकरियों से इसका फायदा उठाकर मटर खाने नाथूराम के खेत में चलीं गईं। फसल सारी बर्बाद होने की जानकारी मिलने पर नाथूराम गुस्से से पागल हो गया और गांधी जी को सबक सिखाने की योजना बनाने लगा। हालाकि नाथूराम के पड़ोसी चचा नेहरु ने उसे बहुत समझाया कि “गांधी अहिंसावादी इंसान हैं, उनको मारने पीटने से समस्या का हल नहीं निकलने वाला”।

नाथूराम ने भी उम्र का तकाजा समझकर गांधीजी को माफ कर दिया।

पर गांधी जी को इस बात को समझना चाहिए था कि मेरे वजह से किसी की फसल नुकसान हो रही है। पर वो अपने बकरियों पर पाबंदी नहीं लगाई। फिर क्या एक दिन शुभ मुहूर्त देखकर नाथूराम ने गांधी जी पर गोली चला दी। और इस प्रकार एक महान पुण्य आत्मा का निर्जिव शरीर सदा सदा के लिए शांत हो गया।

नोट:-

  • खेत अगल बगल का मतलब — एक देश के निवासी।
  • गांधी जी की बकरी— उनका मुसलिम तुष्टिकरण
  • मटर की फसल —— हिंदुत्व।
  • मटर चरने का मतलब — मुसलिम हितों के कारण हिंदुओं की उपेक्षा (विभाजन के बाद सिखों और हिंदुओं का कत्ल और महिलाओं का बलात्कार)
  • चचा नेहरु —— भारतीय राजनीति के काल्पनिक परिदृश्य ( वास्तव में वो काल्पनिक ही थे, जनता ने सरदार पटेल को चुना था)

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