नाक में ऐसा क्या होता है जिसके कारण केवल ऑक्सीजन अंदर जाती है?
नाक में सिर्फ ऑक्सीजन अंदर जाने का कोई उपाय नहीं होता।
नाक में दो नासिका छिद्र होते हैं , जिनसे हम वायु को सांस में लेते हैं। यह अनेक गैसों , धूलकणों, जीवाणुओं , परागकणों आदि का मिश्रण होती है।
नासिका गुहा में पाए जाने वाले महीन बाल तथा श्लेष्मा श्वास वायु में से धूल कण , पराग कण , फफूंदी आदि को दूर कर उसे शुद्ध करते हैं।
फिर वायु जिसमें ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि गैसें होती हैं, वह श्वास नली से होते हुए फेफड़ों में पहुंचती है , जहाँ उसमें से ऑक्सीजन गैस विसरण द्वारा रक्त में घुल जाती है और रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकल कर सांस के माध्यम से बाहर निकल जाती है।