धर्मेंद्र वही फिल्में क्यों करते थे जिसमें सदाशिव विलेन का रोल करते थे, जानिए क्यों
बॉलीवुड के सुपर हिट विलन सदाशिव जिन्होंने विलेन का खिताब भी जीता. सदाशिव अमरापुर जी के पिता कभी भी नहीं चाहते थे कि वह कभी एक्टिंग करें इसी कारण उन्होंने उन्हें बहुत मारा पीटा फिर भी उन्होंने एक्टिंग नहीं छोड़ी. इनके स्कूली समय में स्पोर्ट्स में ज्यादा रुचि थी वह क्रिकेट खेला करते थे लेकिन कॉलेज आने के बाद इनकी रूचि बदल गई कॉलेज में एक बार उन्होंने किसी नाट्य में विलेन का रोल किया तब सब ने उनकी तारीफ की उनको पहला फर्स्ट अवॉर्ड मिला.
जिसके कारण उनको एक्टिंग में रुचि बढ़ती गई. एक्टिंग में अपना करियर आजमाने के लिए वह मुंबई चले गए मुंबई आने के बाद उनकी मुलाकात विजय तेंदुलकर से हुई जो कन्या मूवी के स्क्रिप्ट राइटर थे. उन्होंने सदाशिव से कहा मेरे पास एक रोल है क्या तुम इस फिल्म में उस रोल पर काम करना चाहते हो.
उसके बाद उन्हें गोविंद नहलानी से मिलवाया गोविंद निहलानी ने उन्हें अर्ध सत्य मूवी में कास्ट किया इस फिल्म में सदाशिव ने रामा शेट्टी का रोल किया.जो की सुपरहिट रहा.
इनकी आंखों और उनकी बॉडी लैंग्वेज से ही इनका रोल पूरा हो जाता था. धर्मेंद्र जो अपने करियर में रफ़ टाइम से गुजर रहे थे और धर्मेंद्र की कई फिल्में जो एक के बाद एक फ्लॉप हो रही थी तब उन्होंने सदाशिव से कहा था क्या तुम मेरी मूवी में विलेन का रोल करोगे.तब फिल्म हुकूमत में धर्मेंद्र के साथ सदाशिव में विलेन का रोल किया जिसमें उन्होंने दीन बंदू दिन दया नंद का रोल किया. और यह फिल्म बहुत सुपर हिट रही कमाई के मामले में इस फिल्म में मिस्टर इंडिया को भी पीछे छोड़ दिया. 1987
की सबसे हाईएस्ट मूवी बनी इसके बाद आगे चलकर उन्होंने एक साथ में बहुत सारी फिल्मे की .इन्होंने लगभग 11 फिल्मे एक साथ में करी.जिसमे प्रमुख रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ, फूलन हसीना रामकली, कोहराम, दुश्मन देवता, फरिश्ते, वीरु दादा, नाका बंदी, एलान-ए-जंग, पाप को जला कर राख कर दूंगा, खतरों के खिलाड़ी.