धन की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना है तो चाणक्य की इन बातों को जरूर जान लें

चाणक्य एक योग्य शिक्षक होने के साथ ही कुशल अर्थशास्त्री भी थे. इस कारण चाणक्य व्यक्ति के जीवन में धन के महत्व को अच्छी तरह जानते थे. चाणक्य के अनुसार धन व्यक्ति के बुरे समय में सच्चे मित्र की भूमिका निभाता है. इसलिए धन का विशेष महत्व है.

लेकिन चाणक्य का ये भी कहना था कि लक्ष्मी जी का स्वभाव बहुत ही चंचल है.व्यक्ति यदि गलत आचरण करता है और अवगुणों से युक्त रहता है तो लक्ष्मी जी उस व्यक्ति का साथ छोड़ देती हैं.

चाणक्य के अनुसार लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति को हमेशा अच्छे कार्य करने चाहिए और धर्म कर्म के कार्यों में रूचि लेनी चाहिए. मानव कल्याण के बारे में जो व्यक्ति प्रयासरत रहता है लक्ष्मी जी उस पर अपना आर्शीवाद बनाएं रखती है. लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना है तो चाणक्य की इन बातों पर गौर करना चाहिए.अनुशासित जीवन शैली अपनाएं

चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति अनुशासित जीवन शैली नहीं अपनाता है और अस्त व्यस्त तरीके से जीवन को जीता है उसे लक्ष्मी जी का आर्शीवाद प्राप्त नहीं होता है. लक्ष्मी जी उसी को अपना आर्शीवाद प्रदान करती हैं जो अपने सभी कार्यों को समय पर और नियम से पूरा करता है. इसलिए व्यक्ति को अपनी दैनिक दिनचर्या में सुधार करना चाहिए.

स्वार्थ और लालच का त्याग करें

चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को स्वार्थी और लालची नहीं होना चाहिए. ये दो अवगुण ऐसे हैं जो प्रतिभाशाली व्यक्ति को असफलता प्रदान करते हैं. चाणक्य के अनुसार व्यक्ति का व्यवहार स्वार्थ और लालच से दूर रहना चाहिए. लक्ष्मी जी स्वार्थी और लालची व्यक्ति से दूर रहती हैं. इसलिए इन आदतों को कभी नहीं अपनाना चाहिए.

मानव हित के लिए कार्य करें

चाणक्य के अनुसार मानव हित के बारे में जो विचार करता है और मानव कल्याण के लिए प्रयास करता है, लक्ष्मी जी ऐसे व्यक्ति से प्रसन्न होती हैं और अपना आर्शीवाद प्रदान करती हैं. ऐसे व्यक्ति के जीवन में धन की कोई कमी नहीं रहती है.

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